उत्तर प्रदेश सरकार जनसंख्या नीति 2021-2030 लेकर आई है. इस नीति के जरिए योगी सरकार फैमिली प्लानिंग को लेकर लोगों को जागरूक करना चाहती है. यूपी जनसंख्या विधेयक 2021 का ड्राफ्ट तैयार है. जिन पर लोगों को 19 जुलाई तक अपने सुझाव देने हैं जिसके बाद इस बिल को कानून में बदल दिया जाएगा. इस ड्राफ्ट कि कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं-

‘दो बच्चों की नीति’ का उल्लंघन करने वालों को स्थानीय निकाय के चुनाव में हिस्सा लेने की इजाज़त नहीं होगी. उनके सरकारी नौकरी में आवेदन करने और प्रमोशन पाने पर रोक लगाई जाएगी. उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली किसी भी सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा. इस नीति को पालन करने वालों को अन्य तरह के प्रोत्साहन दिए जाएंगे.  

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क्या आप लोगों को इस बारे में पता है कि ‘दो बच्चों की नीति’ का कानून लाने वाला यूपी पहला राज्य नहीं हैं बल्कि भारत के कई ऐसे भी राज्य हैं जहां पहले ही यह कानून लागू किए जा चुके हैं. 

राजस्थान

साल 1994-1995 वाली राजस्थान की बीजेपी सरकार दो बच्चों की नीति वाला कानून उस समय ही ले आई थी. पंचायती राज अधिनियम, 1994 के मुताबिक, जिन जनप्रतिनिधियों के दो से अधिक बच्चे होंगे वो पंचायत या निकाय चुनाव नहीं लड़ सकेंगे और अगर चुनाव जीत के बाद दो से अधिक बच्चे हो गए तो इसमें पद से हटाने का भी प्रावधान है. जिसके बाद इसक 2002 में राजस्थान में यह कानून भी बना दिया गया कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती. हालांकि 2018 में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस कानून में बदलाव कर 2 बच्चों की नीति की जगह 3 बच्चों की नीति कर दी थी. 

मध्य प्रदेश 

साल 2001 में उस समय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो बच्चों की नीति को राज्य में कानून बनाया था, जिसके अनुसार साल 2001 के बाद अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे होते हैं तो वह सरकारी सुविधाओं का फायदा नहीं उठा सकेंगे चाहे नौकरी हो या सब्सिडी. लेकिन साल 2005 में केंद्र के दखल के बाद उस कानून को हटा दिया गया. 

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गुजरात 

साल 2005 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हुआ करते थे. उनकी ही सरकार में राज्य के अंदर दो बच्चों की नीति लागू करवाई गई थी. जिसके अनुसार दो से ज्यादा बच्चों वाले व्यक्ति को स्थानीय स्वशासन निकायों- पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों के लिए चुनाव नहीं लड़ने दिया जाने का फैसला हुआ था. 

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र जिला परिषद और पंचायत समिति अधिनियम के अनुसार साल 2005 के जरिए वह लोग जिनके दो से अधिक बच्चे हैं उन्हें नगर निगम या पंचायत के चुनाव नहीं लड़ने दिए जाएंगे. इसके साथ ही उस व्यक्ति को कोई राज्य सरकार में कोई पद नहीं दिया जा सकेगा. अगर कोई व्यक्ति 2005 के बाद दो से अधिक बच्चे पैदा करता है तो वह सरकारी नौकरी के लिए योग्य नहीं होगा. 

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उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार ने पंचायती राज अधिनियम में 2019 के तहत दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य बता दिया था. लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और तय हुआ कि यह कानून 25 जुलाई 2019 के बाद ही लागू होगा. 

तेलंगाना 

तेलंगाना में भी दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है. 30 मई, 1994 के बाद अगर किसी के दो से अधिक बच्चे होते है तो उसे अयोग्य ठहराए जाने का नियम है. 

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1994 के तहत यहां भी दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को चुनाव लड़ने की योग्यता नहीं है. 

असम

साल 2019 में बीजेपी सरकार ने असम में भी जनसंख्या नीति लागू करने का फैसला किया था. 1 जनवरी 2021 के बाद दो से अधिक बच्चे करने वाले लोग सरकारी नौकरी के पात्र नहीं होंगे. स्थानीय चुनावों में भी इस नियम को लागू किया जा चुका है. हालांकि चाय बागानों, SCST समुदायों पर इन कानून को लागू नहीं किया गया है.  

ओडिशा

साल 1991 में ओडिशा जिला परिषद अधिनियम को जनता के समक्ष रखा गया था. जिसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं मिलेगी. इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति पद पर रहते हुए दो से अधिक बच्चे करता है तो उसे इस्तीफा देना पड़ेगा.

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