यूपी के रायबरेली सदर विधानसभा सीट पर कांग्रेस (Congress) ने लगभग 4 दशकों तक राज किया. अब इस सीट पर कांग्रेस को उन्हीं हाथों से पटखनी देने की तैयारी है जो इससे पहले कांग्रेस के साथ थे. रायबरेली सदर सीट से पूर्व विधायक अखिलेश सिंह (Akhilesh Singh) और 2017 में यहीं से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनी गई उनकी बेटी अदिति सिंह (Aditi Singh) इस बार कमल खिलाने की कोशिश कर रही हैं.

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रायबरेली सदर विधानसभा सीट का मतलब है अखिलेश सिंह. यहां अखिलेश सिंह की तूती बोलती थी. सदर से वह पांच बार विधायक रहे. छठवीं बार उन्होंने अपनी बेटी अदिति सिंह को चुनाव मैदान में उतारा और उन्हें भी विधायक चुन लिया गया. इस सीट पर करीब 4 दशक से इसी परिवार का कब्जा रहा है. पहले इसी परिवार के अशोक सिंह अलग-अलग दलों से सांसद, विधायक बनते रहे. इसके बाद अखिलेश सिंह कभी कांग्रेस, कभी निर्दलीय तो कभी पीस पार्टी से विधायक चुने गए. पार्टी कोई भी हो जनता ने हमेशा अखिलेश सिंह और उनके परिवार को ही चुना, लेकिन इस बार अदिति सिंह के सामने सबसे अलग तरह की चुनौती है.

साल 2017 में अखिलेश सिंह ने अपनी बेटी अदिति सिंह को रायबरेली सदर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा. उस समय अदिति सिंह ने बीएसपी के मोहम्मद शाहबाज खान को 89163 वोट के बड़े अंतर से मात दी थी. इस बार चुनाव से पहले रायबरेली सदर हॉट सीट पर राजनीतिक और चुनावी हार-जीत का गणित पूरी तरह से बदल चुका है. अदिती सिंह ने कांग्रेस का साथ छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. अब वह बीजेपी की तरफ से चुनाव मैदान में हैं. हालांकि, अदिति सिंह ने तो प्रियंका गांधी तक को चुनौती दे डाली है कि अगर वो रायबरेली से उनके सामने लड़ेंगी तो वो उनकी भी जमानत जब्त करवा देंगी. अगर हम रायबरेली विधानसभा सीट के सियासी अतीत पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहां कांग्रेस की जमीन काफी मजबूत है.

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रायबरेली सदर सीट का चुनावी इतिहास जानें

1. कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 10 बार यहां जीत हासिल की.

2. साल 1967 में पहली बार कांग्रेस के मदन मोहन मिश्रा यहां से विधायक बने.

3. साल 1969 में भी मदन मोहन कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे.

4. साल 1974 में कांग्रेस की सुनीता चौहान ने यहां से जीत हासिल की.

5. साल 1977 में मोहन लाल त्रिपाठी यहां से कांग्रेस विधायक बने.

6. साल 1980 और 1985 में कांग्रेस के रमेश चंद्र यहां से विधायक चुने गए.

7. साल 1989 में कांग्रेस रायबरेली सदर सीट हार गई.

8. साल 1989 और 1991 में कांग्रेस से अशोक सिंह विधायक बने.

9. साल 1993 में कांग्रेस के टिकट पर अखिलेश सिंह विधायक चुने गए.

10. साल 1996 में अखिलेश सिंह कांग्रेस के टिकट पर जीते.

11. साल 2002 में अखिलेश सिंह निर्दलीय और 2012 में पीस पार्टी से विधानसभा पहुंचे.

12. साल 2017 में अखिलेश सिंह की बेटी अदिति यहां से कांग्रेस विधायक बनीं.

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रत्याशी आरपी यादव (R.P. Yadav) साल 2012 में अदिति के पिता अखिलेश सिंह के सामने चुनाव लड़ चुके हैं. इस बार आरपी यादव अदिति सिंह के सामने खड़े हैं. इस वजह से रायबरेली सदर का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. रायबरेली सदर विधानसभा सीट पर अदिति का चेहरा तो पुराना है लेकिन चुनाव निशान नया है. ऐसे में अदिति सिंह के सामने अपने पिता की विरासत को कामयाब रखना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी रहेगी.

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