यूक्रेन (Ukraine) में रूस (Russia)ने सैन्य कार्रवाई की शुरुआत कर दी है. नाटो के सदस्य ब्रिटेन और अमेरिका और उनके सहयोगियों ने रूसी राष्ट्रपति को उसी विस्तारवादी रणनीति को अपनाने के खिलाफ चेतावनी दी है, जिसके तहत 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया छीन लिया गया था. रूस और यूक्रेन के बीच के युद्ध की जड़ नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) को माना जा रहा है. बता दें कि नाटो एक सैन्य गठबन्धन है. इसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई. नाटो 30 देशों का एक ग्रुप है. नाटो देशो ने प्रथम महासचिव का चुनाव 4 अप्रैल 1952 को किया. उस समय से अब तक भिन्न 13 राजनयिकों को आधिकारिक रूप से महासचिव बनाया जा चुका है.

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बीच में तीन कार्यवाहक महासचिव भी बनाये गए है. नाटो संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है. इसके द्वारा सदस्य राज्य बाहरी हमले की स्थिति में सहयोग करने के लिए सहमत होते है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बने नाटो संगठन का सबसे बड़ा मकसद था. कि सोवियत संघ के बढ़ते दायरे को सीमित करना. साथ ही अमेरिका ने नाटो को यूरोप में राष्ट्रवादी विचारों को पनपने से रोकने के लिए भी के लिए प्रयोग किया है. जिसकी वजह से यूरोपीय महाद्वीप में राजनीतिक एकता कायम हो सके.

नाटो की स्थापना के कारण

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान पश्चिम यूरोपीय देशों को अधिक नुकसान हुआ था. उनके आर्थिक पुननिर्माण के लिए अमेरिका एक बहुत बड़ी आशा थी. ऐसे में अमेरिका द्वारा नाटो की स्थापना का उन्होंने समर्थन किया.

सोवियत संघ ने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पूर्वी यूरोप से अपनी सेनाएँ हटाने से इंकार क्र दिया था और वहां पर साम्यवादी शासन की स्थापना का प्रयास किया.

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रूस और नाटो की सैन्य ताकत 

सैन्य ताकत या फिर रक्षा पर खर्च की चर्चा की जाए तो नाटो और रूस का कोई मुक़ाबला नहीं. नाटो के अनुसार, वर्ष 2021 में सभी 30 देशों का अनुमानित संयुक्त खर्च 1,174 अरब डॉलर से अधिक का है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 2020 में नाटो के देशों ने 1,106 अरब डॉलर खर्च किए थे. नाटो के 40 अधिक से सैनिक कभी भी लामबंद होने के लिए तैयार हैं. आगे बात करें रूस की तो रूस ने 2020 में रक्षा पर 61.7 अरब डॉलर का खर्च किया था. अगर युद्ध में नाटो सीधे शामिल हुआ. तो उसके पास 33 लाख से अधिक जवान हैं. रूस के पास 12 लाख की सेना है, इनमे से 8 लाख जवान एक्टिव हैं.

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अमेरिका ने वर्ष 2001 में हुए 9/11 हमले के बाद एक बार अनुच्छेद 5 का प्रयोग किया था. नाटो में राजनैतिक और सैन्य गतिविधियों के लिए अलग-अलग प्रतिनिधि संगठन बने हैं. अमेरिका में 2009 में आतंकवादी हमलों के बाद नाटो नई चुनौतियों का सामना करने के लिए नए सिरे से तैयारी कर रहा है. जिसके तहत अफ़गानिस्तान में सैनिकों की और इराक में प्रशिक्षकों की तैनाती की गई है.

नाटों का मुख्यालय ब्रसेल्स में हैं इसकी संरचना 4 अंगों से मिलकर बनी है-

1. परिषद: इसके निर्माण राज्य के मंत्रियों से होता है। यह नाटों का सर्वोच्च अंग है. इसकी मंत्रिस्तरीय बैठक वर्ष में 1 बार होती है.

2. उप परिषद्: यह परिषद् नाटों के सदस्य देशों द्वारा नियुक्त कूटनीतिक प्रतिनिधियों की परिषद् है. ये नाटो के संगठन से सम्बद्ध सामान्य हितों वाले विषयों पर विचार करते हैं.

3. प्रतिरक्षा समिति: इस समिति में नाटों के सदस्य देशों के प्रतिरक्षा मंत्री शामिल होते हैं. बता दें कि मुख्य कार्य प्रतिरक्षा, रणनीति तथा नाटों और गैर नाटों देशों में सैन्य संबंधी विषयों पर विचार विमर्श करना है.

4. सैनिक समिति: इसका मुख्य कार्य नाटों परिषद् एवं उसकी प्रतिरक्षा समिति को सलाह देना है. इसमें सदस्य देशों के सेनाध्यक्ष शामिल होते हैं.

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