महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को अपना आदर्श मानने वाले दुनिया के तमाम देश प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) मनाते हैं. अहिंसा के पुजारी व भारत के राष्ट्रपिता गांधी पूरी दुनिया में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए एक आइकॉन के तौर पर देखे जाते हैं. चाहे दक्षिण अफ्रीका के नेल्शन मंडेला हों या अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दुनियाभर के एक्टिविस्ट महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते हैं.  

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बापू की सरल जिंदगी को खुली किताब कहना काफी हद तक मुनासिब है क्योकि आज भी महात्मा गांधी के मरणोपरांत वो हमारे बीच एक आदर्श सोच और विचारधारा के तौर पर मौजूद हैं. देश- दुनिया के कई देशों में गांधी विचारधारा की पढ़ाई होती है.

गांधी ने भले ही पूरी दुनिया को अहिंसा की तालीम पढ़ाई हो लेकिन वह खुद हिंसा के भुक्तभोगी थे. जानकार आश्चर्य होगा कि जिस इंसान ने अपने पूरे जीवन में एक छोटे प्राणी को मारने का विचार मन में नहीं लाया उस महापुरुष गांधी की हत्या की 6 बार से अधिक कवायद की गई.

1934 में पहला हमला पुणे के एक आयोजन में हुआ लेकिन मारने का प्रयास असफल रहा. फिर गांधी पर लगातार हमले होते रहे 1944 में पंचगनी के आगा खां पैलेस में, फिर उसी साल बंबई में गांधी जब जिन्ना से मुलाकात कर रहे थे तो उनपर हमला करने की कोशिश हुई , लेकिन गांधी को मारने की कोशिशें नाकाम रहीं और गांधी आज पूरे विश्व के लिए एक महापुरुष ही नहीं बल्कि एक विचार के रूप में अमर हैं.

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आखरी दफा 30 जनवरी , 1948 को दिल्ली के बिरला हॉउस में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर बापू की हत्या कर दी. आज बिरला हाउस को लोग गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के नाम से जानते है.

गांधी की जान लेने के दो और प्रयास किए गए थे. दोनों के दोनों प्रयास चंपारण में हुए. साल 1917 में महात्मा गांधी मोतिहारी में थे. मोतिहारी में सबसे बड़ी नील मिल के मैनेजर इरविन ने गांधी को बातचीत के लिए बुलाया. इरविन मोतिहारी की सभी नील फ़ैक्ट्रियों के मैनेजरों के नेता थे.

इरविन ने सोचा कि जिस आदमी ने उनकी नाक में दम कर रखा है, अगर इस बातचीत के दौरान उन्हें खाने-पीने की किसी चीज़ में ज़हर दे दिया जाए. इरविन ने गांधी के पास जहरीले खाने वाला ट्रे भेजा, लेकिन इरविन के खानसामे बत्तख मियां अंसारी ने अंत में गांधी को वो खाना खाने से रोक लिया. 

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गांधी बच गए तो एक दूसरे अंग्रेज़ मिल मालिक को गुस्सा आया.उसने कहा गांधी अकेले मिल जाए तो उन्हें गोली मार दूं. ये बात गांधी तक पहुंची. गांधी सुबह-सुबह उठकर अपनी सोंटी लिए हुए उस अंग्रेज़ की नील कोठी पर पहुंच गए. गांधी ने चौकीदार से कहा कि बता दो मैं अकेला आया हूं. कोठी का दरवाज़ा नहीं खुला और वो अंग्रेज़ बाहर नहीं आए.

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