बिहार में कुछ बड़ा सियासी उलटफेर होनेवाला है इसकी आशंका जताई जा रही है. क्योंकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने जेडीयू पार्टी विधायकों को फरमान सुनाया है कि अगले 72 घंटे तक वह पटना छोड़ कर न जाएं. इसके बाद से प्रदेश में हलचल मच गई है. सभी की निंगाहें नीतीश कुमार की ओर हैं कि वह ऐसा कौन सा फैसला लेने वाले हैं कि विधायकों को पटना में डेरा डालने तक कह दिया है. बिहार में सियासी हलचल तब से बढ़ी है जब लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ पोस्टर वॉर छेड़ दिया है.

सीएम नीतीश कुमार का विधायकों के लिए फरमान लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. सबसे ज्यादा आशंका जताई जा रही है कि नीतीश कुमार एक बार फिर आरजेडी के साथ आ सकते हैं. ऐसा हुआ थो सूबे में फिर से बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. ऐसे में अगले 72 घंटे बिहार की सियासत के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय है.

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वहीं, दूसरी ओर आरसीपी सिंह को लेकर पार्टी में टूट की आशंका जताई जा रही है. राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो लड़ाई जेडीयू कोटे से केंद्र सरकार में मंत्री आरसीपी सिंह की राज्यसभा भेजने को लेकर है. दरअसल 7 जुलाई को आरसीपी सिंह का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. और नीतीश आरसीपी सिंह को दोबारा राज्यसभा भेजना नहीं चाहते हैं. ऐसे में आरसीपी सिंह का मंत्री पद चला जाएगा. वहीं, आरसीपी का पत्ता कटा तो जेडीयू में दो फाड़ हो सकता है. क्योंकि, पार्टी में करीब आधा दर्जन सांसद और 15 से अधिक विधायक आरसीपी सिंह के समर्थक माने जाते हैं.

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माना जाता है कि, आरसीपी सिंह से नीतीश कुमार की नाराजगी तब से है जब मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो जेडीयू ने सरकार में शामिल होने की बात कही गई. वहीं बातचीत के लिए आरसीपी सिंह को ही कमान सौंपी गई थी. तब वह जेडीयू के अध्यक्ष थे. लेकिव केंद्र में केवल एक कैबिनेट मंत्री के बीजेपी के ऑफर पर डील फाइनल कर दी और खुद मंत्री बन गए. नीतीश तब दो कैबिनेट और दो राज्यमंत्री का पद जेडीयू के लिए चाहते थे. जेडीयू के वर्तमान अध्यक्ष ललन सिंह ने भी आरसीपी सिंह के डील पर कड़ी आपत्ती जताई थी.