प्रसिद्ध शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता मैरी रॉय (Mary Roy) का आज यानी 1 सितंबर को निधन हो गया है. 89 वर्षीय मैरी रॉय के निधन की खबर उनके परिवार की तरफ से आई है. मैरी रॉय की कानूनी लड़ाई सीरियाई ईसाई महिलाओं को पैतृक संपत्ति में बराबरी के अधिकार को दिलाने की ती. प्रसिद्ध लेखिका और मैन बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधति रॉय (Arundhati Roy) की मां मैरी रॉय कोट्टयम के पास पल्लीकूदम स्कूल की संस्थापिका थीं.

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मैरी रॉय का 89 वर्ष की उम्र में निधन

कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है. इस ट्वीट में लिखा है, ‘सीपीआई (एम) एक शिक्षाविद मैरी रॉय के निधन पर शोक व्यक्त करती है. उन्होंने ईसाई महिलाओं के लिए संपत्ति के अधिकारों से संबंधित कानूनों में असमानता के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. जिसके लिए उन्हें धमकियों, धमकी और हमलों का सामना करना पड़ा था. माकपा ने उनके शोक संतप्त परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त की है.’ 

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80 वर्ष की उम्र में मैरी रॉय ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी और इसमें शामिल होकर उन्होंने कहा था कि वे राजनीति में एक विकल्प देखना चाहती हैं. अब तक कांग्रेस, भाजपा और वामपंथी बदलाव लाने में असफल रही. साल 1984 में मैरी रॉय ने 1916 के त्रावणकोर ईसाई उत्तराधिकारी अधिनियम को चुनौती दी थी.

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जिसमें बताया गया था कि सीरियाई ईसाई समुदाय में बेटियां पैतृक संपत्ति के समान अधिकार की हकदार नहीं हैं. साल 1986 में उनके पक्ष में फैसला आया तो ईसाई समुदाय के नेताओं और राजनेताओं ने उन्हें अपने निशाने पर लिया. उनका जीवन समाज के प्रति कई अलग-अलग लड़ाईयों में व्यतीत हुआ.