सेंगोल क्या है: भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 28 मई को किया. इस दौरान नई संसद की कुछ तस्वीरें सामने आईं, जिससे संसद भवन के भव्यता का पता चल रहा है. लेकिन उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ एक चीज दिखी, जिसने सबका ध्यान खींचा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह एक ऐतिहासिक वस्तु है, जिसका नाम सेंगोल है. इसे लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास रखा जाएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने 24 मई को सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी थी. अमित शाह के अनुसार, सेंगोल निष्पक्ष, न्यायपूर्ण शासन के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है.

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सेंगोल क्या है

सेंगोल दक्षिण भारत का ऐतिहासिक राजदंड है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वीकार किया था. यह सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था. इसे बाद में इलाहाबाद संग्रहालय में नेहरू द्वारा उपयोग की जाने वाली अन्य वस्तुओं के साथ रखा गया था.

एएसआई के सेवानिवृत्त पुरातत्वविद् टी सत्यमूर्ति के अनुसार, सेंगोल या राजदंड सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था. राजा का धर्म राज्य को अच्छी तरह से चलाना है, सेंगोल उसे अपने धर्म की याद दिलाता है.

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कैसे सौंपा गया था नेहरू को सेंगोल?

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक पुरोहित ने पहले सेंगोल को माउंटबेटन को दिया और फिर वापस ले लिया. इसके बाद उस पर गंगाजल छिड़का गया और पंडित नेहरू को दिया गया. इस समारोह का आयोजन आधी रात से पहले किया गया और उसके बाद 15 अगस्त को भारत को स्वतंत्रता मिली. यह भी कहा जाता है कि जब पंडित नेहरू के सेंगोल ने स्वीकृति के अवसर पर एक विशेष गीत लिखा था.

तमिल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस. किंगवेलु के अनुसार, पंडित नेहरू को सेनगोल देने वाले शैव मठ के प्रमुख पुजारी थिरुवदुथुराई अनहिम थे.