केंद्र सरकार (Central Government) ने सेना भर्ती की योजना अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) को 14 जून 2022 को लाॅन्च किया था. जब से ये योजना लाॅन्च हुई है तभी से युवा काफी आक्रोश में हैं. देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. कई जगहों पर ट्रेनों को रोका गया और उनमें आग भी लगाई गई. इतिहास गवाह है कि जब-जब लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है. तब-तब प्रदर्शनकारियों ने अपना गुस्सा सार्वजनिक संपत्तियों पर निकाला है. इन्हीं सार्वजनिक संपत्तियों में से एक भारतीय रेलवे हैं. रेलवे लगातार प्रदर्शनकारियों के आक्रोश का शिकार होता रहा है. जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 6 वर्षों में रेलवे को लगभग 5 हजार करोड़ के मालभाड़े का नुकसान हो चुका है.

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रेल मंत्रालय ने सदन में बताया था कि रेलवे प्लेटफार्म और ट्रैक पर प्रदर्शन की रेलवे को भारी कीमत चुकानी पड़ती है. पिछले 6 वर्षों में भारतीय रेलवे ने सिर्फ माल भाड़े में 4736 करोड़ का नुकसान झेला है. रेलवे की संपत्तियों के नुकसान के साथ अगर यात्री भाड़े को भी जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा बहुत बड़ा हो जाता है. पिछले कुछ वर्षों में रेलवे को नुकसान पहुंचाना खतरनाक ट्रेंड भी बनता जा रहा है. साल 2015-16 से 2017-18 के बीच के 3 साल में कुल 1846 करोड़ के माल भाड़े का नुकसान हुआ था. वहीं, 2018-19 से 2020-21 के 3 सालों की बात करें तो इस दौरान ये डेढ़ गुना बढ़कर 2890 करोड़ पहुंच गया.

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जी न्यूज के मुताबिक, अग्निपथ योजना के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन में अब तक रेलवे को 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान पहुंच चुका है. आगजनी की वजह से रेलवे को देशभर में लगभग 100 कोच का नुकसान हुआ है. एक कोच की अनुमानित लागत करीब 2 करोड़ रुपये होती है. यानी करीब 200 करोड़ के रेलवे कोच जलकर खाक हो गए हैं.

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इसके अलावा रेलवे के साथ इंजन भी जले हैं. प्रत्येक इंजन की कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये होती है. तो कहा जा सकता है कि अब तक 105 करोड़ रुपये के इंजन भी जलकर खाक हो चुके हैं. रेल ट्रैक, रेलवे स्टेशन को करीब 200 करोड़ रुपये के नुकसान का अंदाजा लगाया जा रहा है. हालांकि इस नुकसान में अभी रेलवे को ट्रेन रद्द करने के कारण होने वाले यात्री भाड़े और माल भाड़े के नुकसान का अंदाजा नहीं लग सका है.

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शनिवार को भारतीय रेलवे ने 369 ट्रेनों को रद्द करने का फैसला लिया था. इसकी वजह से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. इससे पहले शुक्रवार को भी 200 से ज्यादा ट्रेनें कैंसिल करनी पड़ी थी. बता दें कि अग्निपथ योजना के खिलाफ आंदोलन कर्नाटक और केरल सहित दक्षिणी राज्यों में भी फैल चुका है.