Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की लोकसभा सदस्ता रद्द कर दिया गया है. सूरत कोर्ट ने मानहानि के मामले में 23 मार्च को Rahul Gandhi को दोषी करार दिया गया था. इसके साथ ही उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई थी. वहीं, कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए ऊपरी अदालत में अपील करने का आदेश दिया था. लेकिन चर्चा इस बात की जोरों पर थी कि राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी. और आखिरकार यही हुआ. लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर संसद की सदस्यता रद्द कर दी. राहुल गांधी के पास अभी विकल्प बाकी है लेकिन इससे पहले ही तत्काल प्रभाव से राहुल गांधी की सदस्यता खत्म कर दी गई.

Rahul Gandhi वायनाड से लोकसभा सांसद थे

राहुल गांधी केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद थे. दरअसल,  जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई हो तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी. इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं. यानी आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते.

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Rahul Gandhi के लिए क्या-क्या है विकल्प

हालांकि, राहुल को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं. वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है . हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है. लेकिन अगर ऊपरी अदालत से उन्हें राहत नहीं मिलती तो राहुल गांधी 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

राहलु की किस टिप्पणी पर हुई सजा

बता दें, राहुल के खिलाफ यह मामला उनकी उस टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, “क्यों सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही होता है?” ये टिप्पणी राहुल ने वायनाड से लोकसभा सदस्य राहुल ने उक्त टिप्पणी 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में की थी.

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राहुल को मोदी शब्द इस्तेमाल करना पड़ा भारी

इस बयान पर बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दर्ज कराया था.और आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने मोदी समुदाय को बदनाम किया है. हालांकि, राहुल गांधी के निशाने पर ललित मोदी और निरव मोदी थे जो करोड़ों का कर्ज लेकर देश छोड़कर फरार हो गए हैं और मोदी सरकार उसे वापस लाने में असफल हैं. लेकिन सार्वजनिक तौर पर राहुल गांधी का केवल ‘मोदी’ शब्द का इस्तेमाल करना भारी पड़ गया.