सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे सांसदों और विधायकों को गिरफ्तार करने एवं पेश करने में पुलिस की अनिच्छा को लेकर चिंता जाहिर की, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. साथ ही कोर्ट ने इसे एक ”गंभीर” मामला करारा दिया.

शीर्ष अदालत ने कहा कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामले लंबित हैं क्योंकि पुलिस अधिकारी कभी-कभी ऐसे जनप्रतिनिधियों के दबाव के चलते कानून का अनुपालन नहीं करवाते हैं.

जस्टिस एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ” हमें बताया गया है कि कभी-कभी आरोपी सांसदों एवं विधायकों के दबाव के कारण पुलिस कानून का अनुपालन नहीं करती है. हम समझते हैं कि यह एक गंभीर मामला है.”

पीठ ने यह भी कहा कि विभिन्न हाईकोर्ट लंबित मामलों को निपटाने के मद्देनजर वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कह रहे हैं.

पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल हैं.

पीठ ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों का ताजा विवरण तलब करने के साथ ही ऐसे मामलों को तेजी से निपटाने के लिए उच्च न्यायालयों को भी वीडियो कॉन्फ्रेंस की आवश्यकता संबंधी ब्योरा देने को कहा है.

न्याय मित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने कहा कि मामलों की निगरानी के बावजूद सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है.

मामले के मुख्य याचिकाकार्ता वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अदालत से अनुरोध किया कि गंभीर अपराधों के आरोपों का सामना कर रहे सांसदों एवं विधायकों पर ”आजीवन प्रतिबंध” लगाए जाने के संबंध में भी नोटिस जारी किया जाए.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह फिलहाल वर्तमान मामले पर ही सुनवाई करेगी.