प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को देशवासियों से आयात को कम से कम करने, स्थानीय उत्पादों को सम्मान देने और देश में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का मूल्यवर्धन करते हुये आत्मनिर्भर भारत के लिये संकल्प लेने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर भारत मानवता और विश्वकल्याण के लिए भी आवश्यक है.

मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि ‘एक भारत सर्वेश्रेष्ठ भारत’ बनाने के लिये प्रत्येक देशवासी को कुछ न कुछ योगदान करना होगा. उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत केवल एक शब्द नहीं है बल्कि 130 करोड़ देशवासियों के लिये एक मंत्र बन गया है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह आत्मविश्वास से भरा भारत है. हिन्दुस्तान की सोच और आत्मविश्वास पर पूरा भरोसा है. भारत को अपने आप को योग्य बनाना आवश्यक है. यह आत्म विश्वास से भरा भारत है. भारत एक बार किसी काम को करने की ठान लेता है तो उसको पूरा करके ही छोड़ता है.’’

कोरोना वायरस महामारी की चुनौती के बीच उन्होंने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान बढ़ाना आवश्यक है ‘‘हमें जगत कल्याण के लिये अपने आप को समर्थवान बनाना होगा. देश में अथाह प्राकृतिक संपदा है, इसका मूल्य वर्धन कर, उसे तैयार करना होगा. हम कच्चे माल का कब तक निर्यात करते रहेंगे और तैयार माल का ब तक आयात करते रहेंगे. हमें खुद कच्चे माल का मूल्य वर्धन कर तैयार माल का निर्यात बढ़ाना होगा.’’

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प्रधानमंत्री ने अपने करीब डेढ़ घंटे के लंबे भाषण में आत्मनिर्भर भारत को लेकर प्राकृतिक संसाधनों से लेकर,  कृषि क्षेत्र,
बुनियादी ढांचा क्षेत्र, डिजिटल भारत, कौशल भारत और स्थानीय उत्पादों को गौरवमय बनाने को लेकर अपने विचार व्यक्त किये.

उन्होंने कहा कि भारत आज कृषि क्षेत्र में अन्न का निर्यात करने में सक्षम है. कृषि क्षेत्र में भी मूल्य वर्धन की आवश्यकता है. आत्म निर्भर भारत में कौशल और सृजनशीलता को बढ़ाना है.

मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत को लेकर अनेक आशंकायें व्यक्त की जाती हैं, कई चुनौतियां प्रकट की जाती हैं लेकिन देश में कई लोग इसका समाधान देने वाले भी हैं. जिस प्रकार कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिये सब आगे आये हैं उसी प्रकार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी कदम बढ़ायेंगे.

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उन्होंने कहा कि ‘वोकल फार लोक’ को आजादी के 75वें साल का मंत्र बनाना होगा. देश में एक के बाद एक सुधारों को आगे बढ़ाया जा रहा है. यही वजह है कि पिछले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के क्षेत्र में पिछले सारे रिकार्ड पीछे छूट गये हैं. बीते साल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना काल में भी दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियां भारत की तरफ आकर्षित हुई हें. यह सब भारत में बदलाव से ही संभव हो सका है. देश में 110 लाख करोड़ रुपये की 7,000 परियोजनाओं की पहचान कर ली गई है. ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं पर जितना ज्यादा काम होगा सभी को उसका लाभ मिलेगा.’’

मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के समय देश के चार महानगरों को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना पर काम हुआ. ‘’हमें उससे आगे जाना है. सड़क,
बंदरगाह, रेल, हवाई यातायात सभी को आपस में जोड़ना है. मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी की तरफ बढ़ना है. पूरे ढांचागत क्षेत्र को नया आयाम देना है. समुद्री तट के हिस्से में सड़क निर्माण करना है.

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लगातार सातवीं बार स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से राष्टू को संबोधित करते प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 110 आकांक्षी जिलों की पहचान की गई हैं. ये वो जिले हैं जो कि विकास की राह में देश के अन्य जिलों से कुछ पीछे रह गये हैं. उन्हें भी दूसरों के समान विकास की पटरी पर लाना है.

किसानों के लिये उनके उत्पाद बेचने के मामले में सीमित दायरे को समाप्त किया गया है. अब किसान दुनिया के किसी भी हिस्से में अपना सामान बेच सकता है. कृषि उत्पादों के परिवहन और बेहतर रखरखाव के लिये एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना कोष की शुरुआत की गई है. किसान उत्पादक संघों (एफपीओ) को बढ़ावा दिया जा रहा है.