पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव की कानूनी मदद के लिए सभी रास्ते बंद कर दिए हैं. ये बयान विदेश मंत्रालय की ओर से आया है. मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान ने जासूसी के झूठे आरोप में जाधव को मौत की सजा सुनाई है और इसके खिलाफ अपील के लिए भारत की हर कोशिश में बाधा दिया जा रहा है.

मंत्रालय के मुताबिक, भारत की ओर से काउंसलर अधिकारियों को जाधव को कानूनी दस्तावेज नहीं देने दिए गए और न ही रिव्यू पिटीशन दाखिल करने दिया गया. हमें बताया गया था कि पाकिस्तानी वकील कर हम कागज ले सकते हैं. लेकिन जब पाकिस्तानी वकील ने जाधव से संबंधित सभी कागजों की कॉपी के लिए अर्जी दाखिल की गई तो कागज देने से इनकार कर दिया गया.

मंत्रालय ने बताया, इसके बाद भी 18 जुलाई को कोर्ट में जब रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की कोशिश की, लेकिन बताया गया कि हम बिना पावर ऑफ एटॉर्नी और कागज के पिटीशन दाखिल नहीं कर सकते हैं.

विदेश मंत्रालय ने कहा पाकिस्तान ने जो रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की जो तारीख दी थी उस पर भी पहले कहा गया 19 जुलाई के बाद पिटीशन दाखिल नहीं कर सकते, उसके बाद कहा गया 20 जुलाई को पिटीशन दाखिल करने की अवधि समाप्त हो जाएगी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने इस मामले से निपटने में उचित रुख नही अपनाया है. भारत इस विषय में सभी उपलब्ध विकल्प तलाश रहा है.

भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (50) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी एवं आतंकवाद के आरोप में अप्रैल 2017 में फांसी की सजा सुनाई थी. भारत ने जाधव को राजनयिक संपर्क मुहैया करने की इजाजत देने से पाकिस्तान के इनकार करने पर हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का रुख किया था और उनकी मौत की सजा को चुनौती दी थी.

आईसीजे ने जुलाई 2019 में कहा था कि पाकिस्तान को जाधव की दोषसिद्धित एवं सजा की अवश्य ही प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करना चाहिए तथा बगैर विलंब किये भारत को उन्हें राजनयिक मदद उपलब्ध कराने दिया जाए.