Noida Twin Tower: रिएल स्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की नोएडा ट्विन टावर्स (Noida Twin Towers) को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 28 अगस्त यानी आज दोपहर में ध्वस्त कर दिया गया. बायर्स की शिकायत के बाद एपेक्स और सियाने टावर्स को गिराने का आदेश कोर्ट ने दिया था. सुपरटेक ट्विन टावर्स (Spertech Twin Towers) को गिराने के दौरान घरों को होने वाले संभावित नुकसान से लेकर विस्फोट से उड़ने वाली धूल तक को लेकर लोगों में डर बना है.

मगर आपके मन में एक सावल जरूर होगा कि आखिर क्यों गिराया गया नोएडा (Noida) का ट्विन टावर? तो चलिए आपको इसका जवाब विस्तार से देते हैं.

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ट्विन टावर क्यों गिराया जा रहा है?

23 नवंबर, 2004 को नोएडा सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन आंवटन हुआ था. इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर की जमीन दी थी. 16 मार्च, 2005 को इसकी लीज डीड हो गई लेकिन उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही देखी गई. इसके कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई निकलने लगती थी. Supertech Emerald Court के मामले में भी प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास 6.556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा निकला. इसके अलावा लीज डीड 21 जून, 2006 को बिल्डर के नाम कर दी. मगर ये दो प्लॉट्स 2006 में नक्शा पास होन पर एक प्लॉट बनाया गया. इसपर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट को लॉन्च किया. इसमें ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की योजना बनी थी.

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नक्शे के हिसाब से यहां 32 मंजिला एपेक्स और सियाने खड़े हैं, यहां से ग्रीन पार्क दिखाया गया. जिसके बाद यहां एक छोटी बिल्डिंग बनाने के लिए भी शुरुआत की गई थी. सबकुछ ठीक चल रहा था और साल 2008-09 में इस प्रोजेक्ट को कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी मिल गया. अब उत्तर प्रदेश सरकार के एक फैसले से इस प्रोजेक्ट की नींव पड़ी. 28 फरवरी, 2009 को उत्तर प्रदेश शासन ने नए आवंटियों के लिए FAR बढ़ाने का फैसला लिाय. जिसके बाद पुराने आवंटियों को कुल एफएआर का 33 फीसदी खरीदने का ऑप्शन रखा गया. एफएआर बढ़ने से अब उसी जमीन पर बिल्डर अधिक फ्लैट्स बना सकते थे.

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सुपरटेक ग्रुप (Supertech Group) को इस बिल्डिंग की ऊंचाई 24 मंजिल और 73 मीटर त बढ़ाने की परमिशन मिली. जहां एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट (Supertech Emerald Court Project) के बायर्स ने कोई विरोध नहीं किया मगर बाद में तीसरी बार फिर से रिवाइज्ड प्लान में इसकी ऊंचाई 40 और 39 मंजिला करने के साथ 121 मीटर तक बढ़ाने की परमिशन मिली जिसके बाद बायर्स का सब्र टूटा. साल 2012 में ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) गया और वहां जांच के आदेश दिए गए. बाद में जांच रिपोर्ट को दबा दिया गया और इस बीच बायर्स अथॉरिटी के चक्कर लगाने के बाद भी नक्शा नहीं मिला. बायर्स का आरोप है कि इन टावर्स को बनाने में नियमों को ध्यान में नहीं रखा गया. 

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सोसायटी के निवासी यूबीएस तेवतिया ने बताया कि टावर्स की ऊंचाई बढ़ने पर दो टावर के बीच अंतर बताया है. साल 2014 में हाईकोर्ट ने इन्हें गिराने के आदेश दिए गए तब 32 मंजिल का काम रोक दिया गया. अगर ये काम 24 मंजिल में रुक जाता तो भी ठीक था मगर ऐसा नहीं हुआ. इन टावर्स को गिराने में एमराल्ड कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट के रहने वालों ने बहुत मेहनत की. महीनों कोर्ट के चक्कर लगाने के बाद 28 अगस्त को अंजाम निश्चित किया था. टावर गिरने का वीडियो आपको देखना चाहिए जहां ध्वस्त होते हुए अपार मलबा और धूल उड़ी है. खबर है कि इस बिल्डिंग को गिराने के कारण यहां के रास्ते को 6 महीने से बंद रखे गए थे. 

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कौन हैं सुपरटेक ट्विन टावर के मालिक? (Twin Tower Noida Owner Name)

Supertech Twin Tower के मालिक आरके अरोड़ा हैं. इन्होंने अलग-अलग सेक्टर्स में 5 जमाने के लिए कंपनियां बनाई हैं. कॉरपोरेट अफेयर मिनिस्ट्री की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, आरके अरोड़ा ने अपने साथियों के साथ 7 दिसंबर, 1995 को इस कंपनी को शुरू किया. कंपनी ने अब तक मेरठ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र और Delhi NCR सहित देशभर में करीब 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स को लॉन्च किया. जिसके बाद आरके अरोड़ा ने एक-एक करके करीब 34 कंपनियां बनाईं.