बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  (Nitish Kumar) ने एनडीए से अलग होने का
फैसला किया है. नीतीश कुमार को राजनीति में एक अनुभवी नेता माना जाता है. यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार ने ऐसा फैसला लिया है. पिछले कुछ सालों में
नीतीश कुमार कई बार ऐसा करते नजर आए हैं. समय के साथ नीतीश कुमार अपना राजनीतिक
पक्ष बदलते रहते हैं.

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एनडीए के साथ 17 साल पुराना रिश्ता
तोड़ दिया था

बिहार में नीतीश कुमार की अच्छी छवि
है. वर्ष 2005 में, उन्हें जनता द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था. जनता का
विश्वास जीतकर नीतीश कुमार ने बिहार में अच्छा काम किया और साल 2010 में फिर से मुख्यमंत्री बने. 2013 में नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते एनडीए गठबंधन
से नाता तोड़ लिया. 2005 से 2013 के बीच जो कुछ भी हासिल हुआ वह खोया हुआ नजर आ रहा था. नीतीश कुमार ने 17 साल के पुराने रिश्ते को खत्म कर दिया था.

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मांझी को मुख्यमंत्री बनाकर सबको
चौंका दिया

राजद के साथ रहने के बाद 2014
का लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ा. उस वक्त भी नीतीश कुमार ने
सभी को चौंका दिया था और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद जितने
राम मांझी मुख्यमंत्री बने. हालांकि, नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने गए थे. 2015 में नीतीश कुमार ने चुनाव के लिए लालू यादव से हाथ मिलाया और जीत भी हासिल
की. लेकिन फिर से नीतीश कुमार ने सभी को झटका देते हुए महागठबंधन से नाता तोड़
लिया और एनडीए में शामिल हो गए. फिर साल 2020 का विधान सभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़ा था और जीते भी. सीटें कम होने के बावजूद वो बिहार के मुख्येमंत्री बने.