बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समाजवादी पार्टी (SP) पर अफवाहें फैलाने का आरोप लगाया गया कि वह भारत की राष्ट्रपति बनना चाहती हैं. मायावती ने कहा कि वह राज्य की मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखती हैं और प्रधानमंत्री बनने की भी क्योंकि वह आराम का जीवन नहीं बल्कि संघर्ष का जीवन चाहती है. बता दें कि एक दिन पहले ही SP प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि BSP ने विधानसभा चुनाव में अपना वोट बीजेपी को दे दिया था अब देखना है कि बीजेपी उन्हें राष्ट्रपति बनाती है या नहीं. 

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BSP प्रमुख ने यह बयान तब दिया जब उनके करीबी सहयोगी और पार्टी महासचिव एससी मिश्रा और पार्टी के एकमात्र यूपी विधायक उमा शंकर सिंह ने योगी आदित्यनाथ से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की. मायावती ने दावा किया कि बैठक मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान बनाए गए स्मारकों के रखरखाव को लेकर थी.

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मायावती पर हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कथित रूप से बीजेपी को वोट ट्रांसफर करने का आरोप लगाया था और कहा था कि अब यह देखा जाना चाहिए कि क्या बीजेपी उन्हें देश का राष्ट्रपति बनाती है. 

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मायावती ने कहा, “समाजवादी पार्टी को मुझे राष्ट्रपति बनाने के अपने सपनों को भूल जाना चाहिए ताकि उत्तर प्रदेश में उनकी सत्ता का रास्ता स्पष्ट हो. मैं कभी राष्ट्रपति बनने का सपना नहीं देखूंगी क्योंकि मुझे आराम का जीवन नहीं बल्कि संघर्ष का जीवन चाहिए.” मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वह फिर से उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना देखती हैं. 

उन्होंने कहा, “हमारे कार्यकाल के दौरान बनाए गए स्मारकों की सपा और भाजपा दोनों सरकारों ने उपेक्षा की और राज्य सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करने के लिए एससी मिश्रा के नेतृत्व में बसपा का एक प्रतिनिधिमंडल योगी जी से मिलने गया था.”

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अब जब अखिलेश यादव ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के दौरान बसपा पर अपने मतदाताओं को भाजपा में ट्रांसफर करने का आरोप लगाया है, तो मायावती ने सपा पर पलटवार करते हुए कहा कि उसने यूपी चुनावों को हिंदू-मुस्लिम रंग देकर भाजपा के साथ मिलीभगत की और भाजपा की सत्ता में वापसी की जिम्मेदारी वही हैं. 

बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा और पार्टी के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह ने आज यूपी के मुख्यमंत्री से मुलाकात की, जिससे राज्य में एक बड़े राजनीतिक बदलाव की अटकलें तेज हो गईं.

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