वैश्विक कोरोना वायरस महामारी के बीच भारत आज 74वां स्वतंत्रता दिवस समारोह मना रहा है. हालांकि कई प्रतिबंधों और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है. पूरे देश में 1947 से 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. हालांकि कुछ इतिहासकारों में 15 अगस्त की तारीख में स्वतंत्रता को लेकर मतभेद हैं.

कुछ इतिहासकार इसे माउंटबेटन की लकी तारीख बताते हैं तो कुछ इसे माउंटबेटन का निर्णय बताते हैं. आइए हम आपको बताते हैं कि स्वतंत्रता दिवस की तारीख 15 अगस्त ही क्यों तय की गई.

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जनवरी 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रस्ताव में 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था. 1947 तक इसी तारीख को भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था, लेकिन 26 जनवरी 1950 में इसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया गया था. तब से आज तक 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.

प्रख्यात लेखक और इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया ऑफ्टर गांधी’ में कहा है कि 15 अगस्त, 1947 की तारीख को उस समय के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने तय किया था, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी सेना ने इसी तारीख में सरेंडर किया था और 15 अगस्त 1947 को इसकी दूसरी वर्षगांठ थी.

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भारत के पहले गर्वनर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन को 24 मार्च 1947 को यहां वायसराय बनाया गया था. उनका मुख्य उद्देश्य था भारत को विभाजित कर स्वतंत्र करना. इसके लिए उन्होंने 3 जून 1947 को माउंटबेटन योजना घोषित की. इसे 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में पेश किया गया. 18 जुलाई को इसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया. इस विधेयक के अनुसार ही भारत और पाकिस्तान को दो अलग स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में घोषित किया गया. इसके बाद ही माउंटबेटन ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता की तारीख तय की.

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