विदेश नीति विशेषज्ञों ने कहा कि चीन द्वारा पेश चुनौती के मद्देनजर हिंद-प्रशांत क्षेत्र सहित विभिन्न द्विपक्षीय रणनीतिक हितों को देखते हुए भारत और अमेरिका के संबंध जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद भी आगे बढ़ते रहेंगे.

उन्होंने कहा कि हालांकि दोनों लोकतंत्रों के बीच के संबंध आगे बढ़ते रहेंगे, लेकिन बाइडेन द्वारा प्रमुख मुद्दों से निपटने के तौर तरीकों में बारीक बदलाव की निश्चित संभावना है क्योंकि उम्मीद है कि वह व्यापार पर एकतरफा फैसला नहीं करेंगे और आव्रजन तथा वीजा पर अधिक उदारवादी रुख अपनाएंगे.

विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों के संबंधों में आगामी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भारतीय जड़ों का होना भी एक सकारात्मक कारक होगा.

अमेरिका में पूर्व भारतीय राजदूत मीरा शंकर ने कहा कि चीन से निपटना और एशिया में संतुलन कायम रखना, शायद बाइडेन के लिए सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय चुनौती होगी तथा भारत जैसे देश इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

शंकर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमारे रणनीतिक संबंध आगे बढ़ते रहेंगे. भारत के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने के लिए अमेरिका में द्विदलीय सहमति है, चाहे वह रिपब्लिकन हो या डेमोक्रेटिक प्रशासन.’

उन्होंने कहा कि बाइडेन प्रशासन में भी यह निरंतरता जारी रहेगी क्योंकि भारत-अमेरिकी संबंधों को प्रभावित करने वाले तत्वों में हिंदी-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति प्रमुख हैं, खास कर चीन द्वारा पेश की गयी चुनौती जो लगातार आक्रामक हो रही है. लद्दाख में अपनी सीमा पर, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में हम यह देख रहे हैं.

वह 2009 से 2011 तक अमेरिका में भारतीय दूत थीं. संबंधों के विभिन्न आयामों के बारे में चर्चा करते हुए शंकर ने कहा कि यह संभव है कि बाइडेन मानव अधिकारों और लोकतांत्रिक आजादी पर अधिक जोर दें.

उन्होंने कहा कि हमें घरेलू स्तर पर पर्याप्त रूप से सतर्क रहना चाहिए ताकि हमें कश्मीर को लेकर आलोचना का सामना नहीं करना पड़े. सरकार ने खुद ही कहा है कि वे स्थिति में सुधार होने पर जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने पर विचार करने को तैयार हैं.

वाशिंगटन में भारतीय मिशन के उप प्रमुख रह चुके पूर्व राजदूत राकेश सूद ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों को वाशिंगटन और दिल्ली दोनों में द्विदलीय समर्थन मिलता रहा है. उनहोंने हालांकि कि नए प्रशासन के तहत ‘फोकस’ वाले क्षेत्रों में कुछ बदलाव हो सकता है.

उन्होंने कहा कि लंबे समय से सीनेटर और उपराष्टूपति के रूप में बाइडेन ने रिश्ते को सकारात्मक गति देने में भूमिका निभाई है.

राजदूत (अवकाशप्राप्त) विवेक काटजू ने भी कहा कि संबंधों के आगे बढ़ने का सिलसिला जारी रहेगा लेकिन सुरक्षा और रणनीतिक क्षेत्र में संबंध चीन के प्रति बाडेन के दृष्टिकोण पर निर्भर होने की संभावना है.

रूस में पूर्व भारतीय राजदूत पी एस राघवन ने कहा कि बाइडेन राष्ट्रपति बराक ओबामा के तहत संबंधों को आगे बढ़ाने का हिस्सा थे.