देश की ताकत अब और बढ़ गई है जब पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) भारतीय नौसेना (Indian Navy) में शामिल कर दिया गया है. यह देश में बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है. इसे भारतीय वैज्ञानिकों ने ही विकसित किया है. ये काफी गर्व की बात है. INS विक्रांत के हर हिस्से की अलग खासियत है. चलिए हम आपको पांच प्वाइंट में इसके बारे में सबकुछ बताते हैं.

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1. आईएनएस विक्रांत की कीमत 20 हजार करोड़ रुपये हैं. इसका वजन 40 हजार टन है. वहीं, इसकी लंबाई की बात करें तो यह 262 मीटर है जबकि इसकी चौड़ाई 62 मीटर है. INS विक्रांत की कुल केबल बिछाने की लंबाई 2400 किमी है जो कोच्चि और दिल्ली के बीच की दूरी के बराबर है. विमानवाहक पोत के 2,300 डिब्बों में 1,700 नाविकों के लिए जगह है, साथ ही महिला अधिकारियों के लिए विशेष केबिन भी हैं.

आईएसी विक्रांत भारतीय नौसेना में शामिल

2. आईएनएस विक्रांत पर 30 फाइटर प्लेन तैनात किये जाएंगे. इसमें MIG- 29K, Kamov-31 और MH-60R मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर शामिल हैं. फिलहाल विक्रांत पर मिग-29के (‘ब्लैक‌ पैंथर’) फाइटर जेट तैनात होंगे और उसके बाद डीआरडीओ और एचएएल द्वारा तैयार किया जा रहा टीईडीबीएफ यानी टूइन इंजन डेक बेस्ड फाइटर जेट होगा.

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3. आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है. जो भारत में बना सबसे बड़ा युद्धपोत है. INS विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है. ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है. इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है.

आईएनएस विक्रांत की ताकत के सामने दुश्मन टेक देंगे घुटने

4. बता दें, आईएनएस विक्रांत को 31 जनवरी 1997 को भारतीय नेवी से रिटायर कर दिया गया था. अब 25 साल बाद फिर भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है. 1971 की लड़ाई में विक्रांत के सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर दिया था.

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5. भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है. आज INS विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है.