भारत के इतिहास में ऐसे बहुत से जख्म हैं जिन्हें याद करने बैठा जाए तो बहुत सी चीजें याद आएंगी. उनमें से एक है 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) में अंग्रेजी सरकार द्वारा किया गया नरसंहार, जिसमें हजारों बेगुनाह, निहत्थे लोग मारे गए थे. जलियांवाला बाह नरसंहार (Jallianwala Bagh massacre) को व्यापक रूप से भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्णं बताया जाता है जिसमें अंग्रेजी सरकार का क्रूर चेहरा सामने आया था. कई इतिहासकार मानते हैं कि इस घटना के बाद शासन के लिए अंग्रेजों के नैतिक दावों का अंत हो गया था. चलिए विस्तार में बताते हैं इस घटना के बारे में.

यह भी पढ़ें: यूपी MLC चुनाव: सभी 36 सीटों पर जीतने वाले प्रत्याशियों की लिस्ट देखें

भारतीय इतिहास में जहां वीरपुरुषों की कई गाथा है वहीं ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत का गुलाम बनना भी एक कड़वा सच है. करीब 200 सालों तक अंग्रेजों ने पूरी कोशिश की कि भारत को हमेशा के लिए गुलाम बनाकर रखा जाए लेकिन कुछ वीरपुरुषों ने आगे आकर देश को उन अंग्रेजों से आजाद करवाया. मगर उस दौरान कई बेगुनाह भारतीयों को अपने प्राण त्यागने पड़े और देश को बहुत बुरी परिस्थितों से गुजरना पड़ा. कई ऐतिहासिक किताबों में लिखा है कि महात्मा गांधी ने रॉलेट एक्ट के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया जिसके बाद अप्रैल की शुरुआत में कई हिस्सों पर प्रदर्शन हुए.

यह भी पढ़ें: Chanakya Niti: क्या आपके अंदर हैं ये 5 गुण? तो सफलता आप तक झक मारकर आएगी

इस प्रदर्शन का एक अंजाम 13 अप्रैल, 1919 को नरसंहार के रूप में देखने को मिला था. इस नरसंहार में कम से कम 1200 लोग मारे गए जबकि करीब 3600 लोग घायल हुए थे. उस दौरान मात्र 5 अंग्रेज मारे गए थे. फरवरी, 1919 में जब रॉलेट बिल आया तब इसका जमकर विरोध हुआ खासकर पंजाब में लोगों ने कई जगह पर प्रदर्शन भी किए. इस एक्ट के खिलाफ महात्मा गांधी ने सत्याग्रह सभा का आयोजन किया. मगर वह पंजाब का दौरा नहीं कर पाए जहां इसका सबसे ज्यादा विरोध हुआ था. 9 अप्रैल, 1919 रामनवमी के दिन लोगों ने विशाल मार्च निकाला और इस मोर्चे में हिंदू के अलावा मुस्लिम भी शामिल हुए थे.

फिर 13 अप्रैल की शाम करीब 4.30 बजे अमृतसर के जलियांवाला बाग करीब 25 से 30 हजार लोग इकट्ठा हुए थे. जनरल डायर हिंदू-मुस्लिम की एकता, सभी लीडर्स की मिलीभगत और भी कई चीजों से गुस्से में था और उसने अपने सैनिकों को 10 मिनट तक बिना रुके गोलियां बरसाने का ऑर्डर दे दिया. जनरल डायर के सैनिकों ने करीब 1650 राउंड में गोलियां चलाईं और जब सैनिक तथ गए तब उन्होंने गोलियां चलाना बंद किया. जलियांवाला बाग हत्याकांड को सौ साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन चोट पहुंचाने की सच्चाई ये है कि देश ने बहुत सी परेशानियों के बाद आजादी हासिल की थी.

यह भी पढ़ें: अमरनाथ यात्रा पर जाने का है प्लान? तो पहले जानें सफर से जुड़ी ये खास बातें