INS Vikrant 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi ने केरल (Kerala) के कोच्चि (Kochi) में एक समारोह में स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत (INS Vikrant), भारत के
समुद्री इतिहास में अब तक के सबसे बड़े और सबसे जटिल युद्धपोत को भारतीय नौसेना (Indian Navy) में शामिल किया.
स्वदेशी विमानवाहक पोत का नाम इसके
शानदार पूर्ववर्ती, भारत के पहले विमानवाहक पोत के नाम
पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसमें बड़ी मात्रा में स्वदेशी
उपकरण और मशीनरी है, जिसमें देश के प्रमुख औद्योगिक
घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक MSME शामिल हैं. विक्रांत के चालू होने से भारत के पास दो ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट
कैरियर होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत
करेंगे.
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262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा आईएनएस विक्रांत भारत में बनने वाला सबसे बड़ा
युद्धपोत है. यह 30 विमान ले जा सकता है, जिसमें मिग-29के लड़ाकू जेट और
हेलीकॉप्टर शामिल हैं. युद्धपोत लगभग 1,600 के चालक
दल को समायोजित कर सकता है.
जहाज 88 मेगावाट की पूरी शक्ति और 28 समुद्री मील की
अधिकतम गति के साथ चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित है. लगभग 20,000 करोड़ रुपये की कुल लागत से निर्मित, परियोजना को MoD और CSL के बीच अनुबंध के तीन चरणों में आगे बढ़ाया गया है, जो क्रमशः मई 2007, दिसंबर 2014 और अक्टूबर 2019 में संपन्न हुए
थे. जहाज की नींव फरवरी 2009 में रखी गई थी,
इसके बाद अगस्त 2013 में लॉन्च किया गया था.
76 प्रतिशत की स्वदेशी सामग्री के साथ,
IAC “आत्मनिर्भर भारत” के लिए देश की एक
आदर्श उदाहरण है और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’
पहल की आधारशिला है.
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जहाज में बड़ी संख्या में स्वदेशी
उपकरण और मशीनरी है, जिसमें देश के प्रमुख औद्योगिक घराने
शामिल हैं. BEL, BHEL, GRSE, Keltron, Kriloskar, L&T, Wartsila India आदि के साथ-साथ 100 से अधिक MSMEs
शामिल है.
आईएनएस विक्रांत के साथ, भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन,
रूस, चीन और फ्रांस
जैसे देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है, जो अपने स्वयं के विमान वाहक डिजाइन और निर्माण कर सकते हैं. भारत के वर्तमान बेड़े में एक विमानवाहक पोत, 10 विध्वंसक, 12 युद्धपोत
और 20 कोरवेट शामिल हैं.