भारतीय रेलवे पहले सीनियर सिटीजन समेत खिलाड़ियों और दूसरे कैटगरी के यात्रियों को रेलवे टिकट पर रियासत देती थी. लेकिन कोरोना काल से बंद की गई इन रियासतों को अब नहीं शुरू किया जाएगा. सरकार ने अब इस सेवा को फिर से बहाल करने से साफ इनकार कर दिया है. रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कहा है कि, रेलवे के पैसेंजर सेगमेंट का किराया पहले से ही काफी कम है अब और अलग-अलग कैटगरी में रियायत देना संभव नहीं है. इससे रेलवे को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. इन लोगों को अब रियायतें नहीं मिलेंगी.

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दरअसल, मानसून सत्र में लोकसभा में रेल मंत्री से ये सवाल किया गया था कि, सरकार सीनियर सिटीजन को फिर से रियायती रेल सफर की शुरुआत कब से करेगी. इस सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने कहा, कोरोना महामारी के चलते दो सालों से पैसेंजर सर्विस से होने ने रेलवे पहले ही घाटे में चल रहा है. रेल मंत्री ने कहा कि रेल कंसेशन बहाल करने से रेलवे के वित्तीय सेहत पर और भी बुरा असर पड़ेगा इसलिए सीनियर सिटीजन समेत सभी कैटगरी के लोगों के लिए रियायती रेल टिकट सेवा बहाल किया जाना संभव नहीं है.

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बता दें, रेलवे चार तरह के विकलांग कैटगरी और 11 तरह के मरीजों और छात्रों को रियायती रेल टिकट उपलब्ध कराती है. रेल मंत्री ने जानकारी दी कि सीनियर सिटीजन को रेल टिकट पर छूट देने के चलते 2017-18 में रेलवे को 1491 करोड़ रुपये, 2018-19 में 1636 करोड़ रुपये और 2019-20 में 1667 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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2019-20 में जहां 6.18 करोड़ सीनियर सिटीजन ने रेल यात्रा की थी तो 2020-21 में 1.90 करोड़ और 2021-22 में 5.55 करोड़ बुजुर्गों ने रेल सफर किया है. उन्होंने बताया कि 2019-20 में 22.6 लाख सीनियर सिटीजन ने रियायती टिकट की सुविधा छोड़ी थी.

हालांकि, वरिष्ठ नागरिक इस रियायत की मांग कर रहे हैं. इसके पीछे की वजह है कि ज्यादातर बुजुर्गों के पास इनकम के साधन नहीं हैं. वहीं, रेल की रियायत खत्म होने से उनके लिए टिकट पहले से और महंगा हो गया है.