प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर देश को सम्बोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की जानकारी दी. पीएम ने बताया कि पार्लियामेंट के अगले सत्र में कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा. इसपर कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं की प्रतक्रिया आई है. राहुल गांधी ने अपने एक पुराना वीडियो साझा किया है, जिसमें वह कह रहे हैं कि सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना ही होगा, मेरी बात याद रखिएगा. 

राहुल गांधी ने पुराना वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया. अन्याय के खिलाफ ये जीत मुबारक हो. जय हिंद, जय हिंद का किसान!” राहुल गांधी ने 14 जनवरी का अपना एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसके साथ उन्होंने लिखा है कि मेरी बात को आप ध्यान से सुन लीजिए. यह सरकार तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने पर मजबूर होगी. 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी ख़ुशख़बरी मिली. तीनों क़ानून रद्द. 700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए. उनकी शहादत अमर रहेगी. आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था. मेरे देश के किसानों को मेरा नमन.”

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कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “700 से ज़्यादा किसानों की मौत के बाद अगर ये सरकार कृषि क़ानून वापस लेती है तो इससे पता चलता है कि यह सरकार किसानों के बारे में कितना सोचती है. साल भर से जो किसान और आम जनता का नुकसान हुआ है इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे.” 

BSP प्रमुख मायावती ने पीएम मोदी की घोषणा पर कहा, “केंद्र सरकार ने कृषि क़ानूनों को देर से रद्द करने की घोषणा की है. यह फ़ैसला बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था. इसके लिए सभी किसानों को हार्दिक बधाई. यदि केंद्र सरकार यह फ़ैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता.” 

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, “आज सरकार को तीनों कृषि क़ानून वापस लेने पड़े हैं, राजनीति की वजह से यह वापस लिए गए हैं लेकिन मैं इसका स्वागत करता हूं. पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनाव में हार के डर की वजह से यह क़ानून वापस लिए हैं. सरकार के ऊपर दबाव था आखिर में किसानों की जीत हुई.”

संयुक्त किसान मोर्चा ने तीनों किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ़ैसले का स्वागत किया है. हम संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेंगे. अगर ऐसा होता है तो यह भारत में एक साल के किसान संघर्ष की ऐतिहासिक जीत होगी. 

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