भारत में हर क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है. ऐसे में भारत में नई नई चीजें बनाई जा रही हैं. जो पहले सिर्फ विदेश में बना करती थी. वो सारी चीजें आज भारत में ही बन रही हैं. इसी कड़ी में आपको बता दें कि भारत में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें भी बनाई जा रही हैं, जो कि 2023 तक तैयार हो जाएंगी. रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के मुताबिक, गतिशक्ति टर्मिनल्स पॉलिसी के तहत रेल नेटवर्क के जरिए भारतीय रेलवे दूरस्थ इलाकों तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है और इस पर बहुत तेजी से काम किया जा रहा है.

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इसके साथ ही रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कहा है कि, ‘स्वदेशी तकनीक के जरिए भारत में ही हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया गया और ये ट्रेनें पिछले दो साल से बिना किसी बड़ी खराबी के चल रही हैं.’ इसके आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी ही और वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें आईसीएफ में बनाई जा रही हैं. जिनको जल्द से जल्द लोगों की सेवा के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.

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सिर्फ जर्मनी ने ही किया है हाइड्रोजन ट्रेनों का निर्माण

हाइड्रोजन की मदद से चलने वाली ट्रेनों का निर्माण अभी सिर्फ जर्मनी के द्वारा ही किया गया है. इसके अलावा अभी किसी भी देश में हाइड्रोजन चलित ट्रेनें मौजूद नहीं हैं. आपको बता दें कि इसी साल जर्मनी ने हाइड्रोजन से चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों की पहली खेप लॉन्च की है. फ्रेंच कंपनी आल्सटॉम ने 92 मिलियन डॉलर की लागत से 14 ट्रेनों का निर्माण किया है. वहीं भारत भी इस तरह की ट्रेन का निर्माण कर रहा है.

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72 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण भी होगा शुरू

रेल मंत्री जी ने बताया कि वंदे भारत के सफल ट्रायल के बाद अब बाकी 72 ट्रेनों का उत्पादन शुरू हो जाएगा.उन्होंने कहा, ‘तीसरी वंदे भारत ट्रेन की अधिकतम स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. यह 0-100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड 52 सेकंड में पकड़ लेगी. जबकि बुलेट ट्रेन 55 सेकंड में यह रफ्तार पकड़ती है. पहली पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेनें 54.6 सेकंड में 0-100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती हैं और 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सकती हैं.’ फिलहाल दो वंदे भारत ट्रेनें दौड़ रही हैं, जिनमें से एक नई दिल्ली से वाराणसी और दूसरी नई दिल्ली से वैष्णो देवी तक जाती है.