होलाष्टक 10 मार्च, 2022 से शुरू हो चुके हैं जो लगभग 8 दिनों तर रहते हैं. होलिका दहन के 8 दिन पहले होलाष्टक लगता है और होलिका दहन इस बार 17 मार्च, 2022 दिन गुरुवार को होगा. रंग वाली होली इसके अगले दिन 18 मार्च, 2022 को दिन शुक्रवार खेली जाएगी. होली में एक नया उत्साह हर किसी में देखने को मिलता है और बसंत ऋतु का आगमन भी यहीं से आता है जिससे प्रकृति निखर जाती है. होली में होलाष्टक का खास महत्व हिंदू ग्रंथों में बताया गया है जिसके बारे में आपको जरूर जान लेना चाहिए.

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क्या होता है होलाष्टक का महत्व?

10 मार्च, 2022 दिन गुरुवार से होलाष्टक शुरू हो चुके हैं. इस समय विधि विधान धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं और सिर्फ मनोरंजन भर रह गया है. ऋषि मुनियों ने हजारों वर्ष पहले इस बात को समझा था कि प्रेम बहुत बड़ी चीज होती है. होली प्रेम का उत्सव माना जाता है और होली मिलन का उत्सव, ऋतुओं में परिवर्तन होने के साथ अनेक प्रकार से संक्रामक भी उत्पन्न होते हैं. होलिका दहन के दिन उसमें कई प्रकार की औषधियां, जड़ी बूटियां, द्रव्य जैसी चीजें होलिका में डाली जाती हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो सके. वायु शुद्ध हो जाती है, आकाशमंडल शुद्ध होता है. इससे कई प्रकार के रोग भी नष्ट होते हैं और अब ये सभी चीजें गायब सी हो रही हैं. 

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1. होलिका दहन वाले दिन मांस, मदिरा या नशे वाली चीजों के सेवन से बचना चाहिए. इस दिन बुराईयों को खत्म कर अच्छाई की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए.

2. होलिका दहन के समय चप्पल पहनकर होलिका अग्नि की परिक्रमा बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से अग्नि देव रुष्ट होते हैं और इसका शुभ फल भी आपको नहीं मिलता है. इसलिए चप्पलों को उतारकर ही परिक्रमा करें.

3. होलिका दहन वाले दिन अपने व्यवहार या बोली से किसी का भी दिल नहीं दुखाएं या किसी को अपशब्द नहीं कहें. अगर आपके कारण इस दिन किसी का दिल दुखता है या आंसू निकलते हैं तो आपको इसकी सजा मिलती है.

4. शास्त्रों के अनुसार, होलिका दहन हमेशा सही समय और शुभ मुहूर्त पर ही करनी चाहिए. इसके पहले विधि-विधान से पूजा जरूर करानी चाहिए, ऐसे ही लड़की इकट्ठा करके आग लगाना होलिका दहन नहीं माना जाता है.

5. होलिका दहन में आम की लड़की को नहीं जलाना चाहिए क्योंकि ऐसा करना शास्त्रों में अशुभ माना जाता है. ऐसा करने से घर में दरिद्रता आती है.

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