गुजरात (Gujarat) के एक हीरा (Diamond) व्यापारी की 9 साल बेटी (Gujarat Diamond Merchant Daughter) ने भौतिक सुख-सुविधाओं को त्याग कर जैन मुनि का रूप धारण कर लिया है. परिवार के एक सहयोगी ने बताया कि धनेश और अमी संघवी की दो बेटियों में सबसे बड़ी देवांशी (Devanshi) ने सूरत के वेसु इलाके में एक समारोह में जैन मुनि आचार्य विजय कीर्तिशसूरी और सैकड़ों अन्य लोगों की उपस्थिति में ‘दीक्षा’ ली. उनके पिता सूरत में लगभग तीन दशक पुरानी डायमंड पॉलिशिंग और एक्सपोर्ट फर्म संघवी एंड संस के मालिक हैं.

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वह अब उन सभी भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर होगी जो उसके हीरा व्यापारियों के परिवार ने उसे प्रदान की थी. पारिवारिक मित्र नीरव शाह ने कहा मीडिया को बताया कि देवांशी का झुकाव बहुत कम उम्र से ही आध्यात्मिक जीवन की ओर था और उन्होंने अन्य भिक्षुओं के साथ लगभग 700 किमी पैदल यात्रा की थी और औपचारिक रूप से साधु बनने से पहले अपना जीवन व्यतीत किया था.

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शाह ने मीडिया को बताया कि समारोह पिछले शनिवार 14 जनवरी से शुरू हुआ और देवांशी के दीक्षा से एक दिन पहले शहर में काफी धूमधाम से धार्मिक जुलूस निकाला गया. इस खबर ने जैन समुदाय में काफी चर्चा पैदा कर दी है, खासकर हीरा व्यापारियों के बीच, जिनके बेल्जियम के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संबंध हैं.

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कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धनेश के पास एक हीरा व्यापारी परिवार के पास रहने का सुख भले ही हो, लेकिन उन्होंने भी अपने घर में सादा जीवन व्यतीत किया है. परिवार भी काफी धार्मिक है और देवंशी ने बचपन से ही दिन में तीन बार पूजा करने के नियम का पालन किया है. आपको बता दें कि इस मौके पर साधु का रूप धारण करने के लिए शहर में हाथी, घोड़े और ऊंटों के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली गई.