गुलाम नबी आजाद( Ghulam Nabi Azad) ने कांग्रेस (Congress) पार्टी के सदस्यता समेत सभी
पदों से इस्तीफा दे दिया है. आजाद ने कांग्रेस की कई सरकारों के साथ काम किया और कई पदों को भी संभाला है. कांग्रेस पार्टी में उनका कद बहुत ऊंचा रहा है. आजाद ने अपने राजनीतिक जीवन की
शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी. तब से वे नौ बार एआईसीसी (AICC) महासचिव चुने गए हैं. आइए जानते हैं कांग्रेस पार्टी के साथ गुलाम नबी
आजाद के सफर के बारे में.

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आजाद ने अपने राजनीतिक जीवन की
शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी. आजाद ने 24 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया. 1973 में उन्हें भालेसा में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के रूप में काम करने
का मौका मिला.  दो साल बाद, आजाद को जम्मू और कश्मीर प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के
रूप में चुना गया. 1980 में, उन्हें अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया
गया.

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1980 में आजाद को महाराष्ट्र में वाशिम
(लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से सातवीं लोकसभा के लिए चुना गया और 1982 में उन्होंने कानून, न्याय और
कंपनी मामलों के मंत्रालय के प्रभारी उप मंत्री के रूप में कांग्रेस की केंद्र सरकार में काम
करने का मौका मिला.

उन्हें 1984 में आठवीं लोकसभा के लिए फिर से चुना गया और 1990 से 1996 तक महाराष्ट्र राज्य सभा के सदस्य
रहे. पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में, आज़ाद ने
नागरिक मामलों और नागरिक उड्डयन के विभागों को संभाला. इसके बाद
वे 30 नवंबर 1996 से 29 नवंबर 2002
और 30 नवंबर 2002 से 29 नवंबर 2008 तक जम्मू
और कश्मीर से राज्यसभा के लिए चुने गए.  इस दौरान वह जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री भी बने.

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साल 
2014 में, जब भाजपा और उसके सहयोगी गठबंधन दल ने बहुमत हासिल किया और
केंद्र में सरकार बनाई, तब आजाद को राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया. आजाद ने विपक्ष के नेता के रूप में काम किया और लगातार सत्ता पक्ष से सवाल
पूछते रहे.

उन्हें अक्सर अपनी पार्टी का ‘संकट
प्रबंधक’ माना जाता रहा है, और उन्हें उनके प्रबंधन कौशल के लिए जाना जाता है. राज्यसभा
में विपक्ष के नेता के तौर पर आजाद कई मुद्दों पर बीजेपी पर कई हमलों में सबसे आगे
रहे हैं.