कोविड महामारी के बीच लोकप्रिय हुई पैरासिटामोल दवाई Dolo 650 को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर एक याचिका में इसे बनाने वाली कंपनी पर आरोप लगाया गया है कि दवा की बिक्री बढ़ाने के लिए कंपनी ने डॉक्टर्स को 1000 करोड़ से ज्यादा के गिफ्ट बाटें. उनसे कहा गया कि इलाज के लिए आए मरीजों को इसी दवाई का नाम लिख कर दें.

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याचिकाकर्ता फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन की ओर से वकील संजय पारिख ने सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी. संजय पारिख ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT ) की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि बुखार के मरीजों के इलाज के लिए डोलो 650 के नाम को सुझाने के लिए एक हजार करोड़ से ज्यादा के गिफ्ट डॉक्टरों को दिए गए.

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- सुनने में अच्छा नहीं लग रहा

मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने वकील संजय पारिख के इस दावे पर हैरानी जताई. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘जो आप कह रहे हैं, वो मुझे सुनने में अच्छा नहीं लग रहा. ये वही दवाई है, जिसका कोविड के दौरान मैंने खुद इस्तेमाल किया. ये सचमुच ही एक बेहद गम्भीर मामला है.

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बच जाती हैं दवा कंपनियां

सुप्रीम कोर्ट में फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में मांग की गई है कि दवाओं की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए डॉक्टर्स को तोहफे देने वाली दवा कंपनियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि इस तरह के मामलों में रिश्वत के आरोप में डॉक्टर्स पर तो केस चलता है, पर दवा कंपनियां बच जाती है और उन पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता.

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कानून बनाने की मांग

याचिका में कहा गया है कि फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज के लिए यूनिफॉर्म कोड (UCPMP) होना चाहिए. अक्सर मरीजों को डॉक्टर्स द्वारा लिखी गई ब्रांडेड कंपनियों की अधिक कीमत वाली दवाई खरीदनी पड़ती है. कोई कानून नहीं होने से मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है.

याचिकाकर्ता वकील पारिख ने कहा कि 500Mg दवाई के लिए दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण द्वारा रेट तय किए जाते हैं. लेकिन जब आप इसे 650 मिलीग्राम तक बढ़ाते हैं तो इसके रेट बेलगाम हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि डोलो 650 सिर्फ एक उदाहरण है, बाजार में और भी एंटीबायोटिक्स हैं जिनकी जरूरत ना होने पर भी उन्हें अलग-अलग तरीकों से प्रचारित किया जा रहा है. दवा निर्माण को नियंत्रित करने के लिए एक वैधानिक ढांचा होना चाहिए.

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कोर्ट ने केन्द्र सरकार से मांगा जवाब

सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से ASG के एम नटराज पेश हुए. कोर्ट ने याचिका में रखी गई मांगों पर केंद्र सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा. 10 दिनों के बाद इस मामले पर फिर सुनवाई होगी.