महाराष्ट्र की राजनीति में 30 जून को जो हुआ वह एक बड़ा सियासी बदलाव था जिसकी कल्पना शायद किसी ने नहीं की. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी कुछ ऐसी प्रतिक्रिया दी थी कि, एकनाथ शिंदे सीएम बनेंगे इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. वहीं, इसकी भी कल्पना सोच से पड़े है कि, बीजेपी के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री पद का अनुभव रखनेवाले और सीएम कुर्सी के असल दावेदार देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम के पद को संभालेंगे. देवेंद्र फडणवीस वही मुख्यमंत्री थे जिन्होंने 5 साल का पूरा कार्यकाल संभाला है. साथ ही बता दें देवेंद्र फडणवीस दूसरे ऐसे सीएम हैं जिन्होंने सीएम की कुर्सी पर अपना कार्यकाल पूरा किया. इससे पहले केवल कांग्रेस के सीएम वसंतराव नाइक थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था.
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आपको बता दें, महाराष्ट्र की सियासत में नाटकीय घटनाक्रम शुरू हुआ जब एकनाथ शिंदे को फडणवीस ने प्रदेश का सीएम घोषित किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, वह सरकार से बाहर रहेंगे. लेकिन इसके बाद ही बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के ऐलान के बाद फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली.
अब इस पर महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल की सफाई सामने आई है. उन्होंने कहा है कि, भाजपा ने हिंदुत्व की विचारधार को आगे ले जाने के लिए शिंदे का मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन किया. लेकिन शिंदे ने स्वंय फडणवीस को मंत्रिमंडल में शामिल होने की अपील की इसलिए फडणवीस ने दिल्ली में आलाकमान से अनुमति मांगी. अपने कनिष्ठ के अधीन काम करने के लिए वास्तव में बड़े दिल की जरूरत होती है.
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हालांकि, इससे सवाल ये उठता है कि, महाराष्ट्र में सरकार बनाने का फैसला दिल्ली से नहीं लिया गया था. साथ ही जब सीएम पद की घोषणा की जा रही थी तब भी दिल्ली बैठे नेताओं से राय मशवरा नहीं किया गया. या फिर देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाने के लिए इतना ‘खेला’ रचा गया.
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आपको बता दें, देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाना और एकनाथ शिंदे को सीएम की कुर्सी बैठाने का फैसला यू ही नहीं लिया गया है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि, बीजेपी केवल सामने की नहीं बल्कि दूर की सोच रहा है. इस एक फैसले महाराष्ट्र में बीजेपी का भविष्य और 2024 में होनेवाले आम चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है.