भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने यात्रियों की सुविधा के लिए बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत अब ट्रेन के जनरल कोच पहले की तरह नहीं रहेंगे, बल्कि जनरल कोच को अब वातानुकूलित यानी AC बोगी में तब्दील किया जाएगा. इसके तहत रेलवे लंबी दूरी की ट्रेनों में एसी जनरल कोच बनाने की तैयारी में है. इन डिब्बों में वैसे लोग सफर कर सकेंगे जो एसी ट्रेन का महंगा किराया वहन नहीं कर सकते.

रेल मंत्रालय ने कहा है कि वातानुकूलित जेनरल कोच वाली लंबी दूरी की ये ट्रेनें 180 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ेंगी. ये कोच आधुनिक तकनीक से बने होंगे. वर्तमान में ट्रेनें 110 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ती हैं, जबकि नये कोच के साथ 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ सकेंगी.

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गौरतलब है कि, अश्विनी वैष्णव ने रेल मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद ही कहा था कि उनका जोर रेलवे के इन्फ्रास्ट्रक्चर और यात्री सुविधाओं में सुधार पर होगा. उन्होंने संकल्प लिया था कि वह रेल यात्रा को सुखद बनायेंगे.

भारत में रेलवे के जितने भी कोच बनते हैं, वे पंजाब के कपूरथला रेलवे कोच फैक्ट्री में बन रहे हैं. फर्स्ट एसी से लेकर जनरल क्लास तक के डिब्बे पंजाब के इसी फैक्ट्री में बनता है.

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सुकून की रेल यात्रा कराने के उद्देश्य से जनरल डिब्बों को एसी में तब्दील किया जा रहा है, ताकि किसी भी मौसम में लोग आरामसे ट्रेन की यात्रा कर सकें. साथ ही इस बात का भी ख्याल रखा जायेगा कि यात्रियों की जेब पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े.

कोविड महामारी से पहले लगभग सभी लंबी दूरी की ट्रेनों में अनारक्षित डिब्बे लगाए गए थे. राजधानी, शताब्दी और वंदे भारत को छोड़ दें तो सभी ट्रेनों में जनरल कोच की व्यवस्था थी. पहले के जनरल कोच से किराया भले थोड़ा अधिक था, लेकिन सफर आरामदायक और तेज था. अब इन ट्रेनों के जनरल कोच को भी रिजर्व कर दिया जाएगा और ऐसे सभी डिब्बे एसी कोच में तब्दील हो जाएंगे.

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कोरोना काल में रेलवे ने ऐसा ही एक प्रयोग किया था जिसमें कम किराये वाले एसी कोच ट्रेनों में जोड़े गए. इस डिब्बे को इकोनॉमिकल एसी कोच का नाम दिया गया. एसी इकोनॉमिकल कोच का किराया आम एसी कोच से कम रखा गया और रेलवे का यह प्रयोग सफल रहा. कोरोना काल में लोगों ने एसी कोच में खूब सफर किया जिससे रेलवे को अच्छी कमाई हुई. एसी इकोनॉमिकल कोच का किराया 3 टियर कोच के किराये से कम रखा गया था.

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