समाजवादी पार्टी (SP) के नेता आजम खान (Azam Khan) को कथित धोखाधड़ी के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को अंतरिम जमानत दे दी थी. इसके एक दिन बाद शुक्रवार को आजम खान सीतापुर जिला जेल से रिहा कर दिए गए. बता दें कि आजम खान पिछले 27 महीने से जेल में बंद थे.

आजम खान को जेल से रिलीज कराने के लिए प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव, आजम खान के दोनों बेटे अब्दुल्ला और अदीब सीतापुर जेल पहुंचे थे.

इस मौके पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, “सपा के वरिष्ठ नेता व विधायक मा. श्री आजम खान जी के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत है. जमानत के इस फैसले से सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय को नये मानक दिये हैं. पूरा ऐतबार है कि वो अन्य सभी झूठे मामलों-मुकदमों में बाइज्जत बरी होंगे. झूठ के लम्हे होते हैं, सदियां नहीं!”

आजम खान के बेटे व विधायक अब्दुल्ला आजम खान ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने न्याय किया है.” आजम खान के दूसरे बेटे अदीब आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि वे रिहाई के बाद सीधे रामपुर जाएंगे. सपा नेता आजम खान के बेटे अदीब आजम खान ने कहा, “मैं (सुप्रीम कोर्ट के आदेश से) बहुत खुश हूं. हम सीधे (रिलीज के बाद) रामपुर जाएंगे.”

सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करके आजम खान को अंतरिम जमानत दी थी. सपा नेता आजम खान को रामपुर थाने में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में जमानत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान को दो सप्ताह की अवधि के भीतर संबंधित अदालत के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता दी. यह अंतरिम जमानत तब तक के लिए मान्य होगी जब तक की अदालत नियमित जमानत के लिए आवेदन पर फैसला नहीं कर लेती.

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आजम खान फरवरी 2020 से सीतापुर जेल में बंद थे. रामपुर में उनके खिलाफ जमीन हथियाने सहित कई मामले दर्ज हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले खान की जमानत याचिका का विरोध किया था और उन्हें भूमि हथियाने वाला और आदतन अपराधी करार दिया था. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परियोजना के लिए शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में आजम खान की जमानत अर्जी पर 5 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

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आजम खान और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर दुश्मन की संपत्ति हड़पने और जनता के करोड़ों रुपये से अधिक के धन की हेराफेरी करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया था कि विभाजन के दौरान एक इमामुद्दीन कुरैशी भारत छोड़ पाकिस्तान चला गया था और उसकी जमीन को दुश्मन की संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था, लेकिन आजम खान ने अन्य लोगों की मिलीभगत से जमीन पर कब्जा कर लिया. भारतीय दंड संहिता (IPC) और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम के तहत रामपुर के आजम नगर पुलिस स्टेशन में आजम खान के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

आजम खान की तरफ जो याचिका दायर की गई है. उसमें तर्क दिया गया है कि राज्य सरकार ने कार्यवाही में जानबूझकर देरी की जिससे खान उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार न कर सकें.  

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