उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में जब रविवार (20 फरवरी) को तीसरे चरण का मतदान होगा, तब अखिलेश यादव की किस्मत भी बैलट बॉक्स में कैद हो जाएगी. अखिलेश तीन बार के मुख्यमंत्री व राज्य के सबसे बड़े नेताओं में से एक मुलायम सिंह यादव के बड़े बेटे हैं. 48 साल के अखिलेश विधानसभा चुनाव में मैनपुरी जिले की करहल सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जोकि लंबे समय से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है.

अखिलेश यादव के लिए मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने कड़ी चुनौती पेश करने के लिए करहल निर्वाचन क्षेत्र जीतना बेहद महत्वपूर्ण है. बीजेपी के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले व देश के गृहमंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि बीजेपी के लिए करहल सीट जीतना यूपी विधानसभा चुनाव में 300 सीट जीतने जितना अहम है.

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करहल में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए इकट्ठा हुई भीड़ से अमित शाह ने सवाल किया था, “क्या आप पीएम मोदी और योगी जी के नेतृत्व में 300 से अधिक सीट वाली बीजेपी सरकार चाहते हैं?” समर्थकों की जयकार के बीच शाह ने आगे कहा, “इसके लिए 300 सीट का काम एक ही सीट से हो सकता है. इसके लिए करहल में कमल खिला दीजिए.”

करहल में अखिलेश के सामने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एसपी सिंह बघेल दावेदारी पेश कर रहे हैं. 61 वर्षीय बघेल वर्तमान में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में कानून राज्य मंत्री हैं. बघेल अभी आगरा लोकसभा सीट से सांसद हैं. बघेल पहले समाजवादी पार्टी से तीन बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं. इसके बाद वह बहुजन समाज पार्टी (BSP) और फिर बीजेपी में शामिल हुए.

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हाल ही में एसपी सिंह बघेल के काफिले पर अत्तिकुल्लापुर गांव में लाठी और पत्थरों से कथित रूप से हमला हुआ था, जिसके बाद उन्हें ज़ेड प्लस सिक्योरिटी मिली है. मोदी के मंत्री ने इस घटना को लेकर करहल पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई है.

करहल, मैनपुरी लोकसभा सीट के पांच विधानसभा सीटों में से एक है. अखिलेश यादव के पिता और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव पांच बार मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनकर संसद पहुंच चुके हैं. 2017 के विधानसभा चुनावों में सपा उम्मीदवार सोबरन यादव ने करहल से 1.04 लाख वोट हासिल किए थे, उन्होंने बीजेपी के प्रेम शाक्य को 38,405 मतों से हराया था. बतौर उम्मीदवार अखिलेश यादव का यह पहला विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. जब वे 2012 से 17 के बीच मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने विधान परिषद का रास्ता अपनाया था.

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करहल विधानसभा सीट पर 3 लाख 70 हजार के करीब वोटर हैं. कुल मतदाताओं में यादव वोटरों की संख्या 1 लाख 40 हजार से अधिक है. इसके अलावा 14 हजार मुस्लिम हैं. ठाकुर, ब्राह्मण, शाक्य मिलकर डेढ़ लाख से अधिक हैं. यादव और मुस्लिम मतदाता परंपरागत रूप से समाजवादी पार्टी के वोटर माने जाते हैं. वहीं, ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य मतदाताओं का झुकाव बीजेपी के पक्ष में माना जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यादव छोड़कर बाकी OBC मतदाताओं का समर्थन भी हासिल हुआ था. इसके अलावा बसपा प्रमुख मायावती के चुनाव में डिफेंसिव मोड में जाने के चलते एसटी मतदाता भी बीजेपी के पक्ष में खिसकते देखे जा रहे हैं.

इन सबके बावजूद मुलायम सिंह यादव का मैनपुरी में काफी प्रभाव है और उनकी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए मतदाता अखिलेश को जिताने का मन बना सकते हैं. हालांकि, अमेठी लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की हार को एक उदाहरण के रूप में रखकर किसी भी परिणाम की अपेक्षा की जा सकती है.

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