तृणमूल कांग्रेस (TMC) से एक दिन में सर्वाधिक नेताओं के पार्टी छोड़ने के घटनाक्रम में शनिवार को दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी और पांच विधायकों एवं एक सांसद समेत 34 अन्य नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा का झंडा थाम लिया.

शाह ने इस मौके पर दावा किया कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव आने तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी पार्टी में अकेली रह जाएंगी. वहीं तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भी आशंका जताई कि आने वाले समय में और पार्टी नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं.

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता सौगत रॉय ने भाजपा में शामिल होने वालों को ‘विश्वासघाती’ करार देते हुए कहा कि ऐसे तत्वों का पार्टी छोड़ना ही ठीक है.

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तृणमूल नेताओं के अलावा माकपा के दो विधायकों, भाकपा और कांग्रेस के एक-एक विधायक ने भी भाजपा का दामन थाम लिया.

तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार 1998 में ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस से अलग होकर नयी पार्टी बनाये जाने के बाद से एक दिन में यह सर्वाधिक तृणमूल नेताओं का पलायन है.

पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों के बाद से तृणमूल कांग्रेस के 10 विधायक तथा कांग्रेस और माकपा के एक-एक विधायक भाजपा के खेमे में जा चुके हैं. हालांकि इनमें से किसी ने विधानसभा की सदस्यता नहीं छोड़ी.

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शनिवार के बाद तृणमूल कांग्रेस के 15 विधायक, माकपा के तीन विधायक और कांग्रेस के दो विधायक भाजपा के साथ आ गये हैं. 294 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के छह विधायक हैं.

अधिकारी ने इस सप्ताह की शुरुआत में तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और ममता बनर्जी सरकार में मंत्री पद भी छोड़ दिया था. वह विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे चुके हैं लेकिन अभी इसे स्वीकार नहीं किया गया है.

बर्द्धमान पूर्व लोकसभा सीट से दो बार के तृणमूल कांग्रेस सांसद सुनील मंडल ने भी भाजपा का दामन थाम लिया. वह पिछले कुछ दिनों से मुखर तरीके से तृणमूल नेतृत्व के साथ अपने मतभेदों पर बोल रहे थे.

मंडल पहले वाम मोर्चा के घटक ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक थे और 2014 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये थे.

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मेदिनीपुर के कॉलेज ग्राउंड में आयोजित विशाल रैली में तृणमूल कांग्रेस विधायक बनश्री मैती, शीलभद्र दत्ता, बिस्वजीत कुंडू, शुक्र मुंडा और सैकत पांजा ने भाजपा का झंडा थामा.

गाजोले सीट पर 2016 में माकपा के टिकट पर जीतने वाली विधायक दीपाली बिस्वास को भी भाजपा में शामिल कराया गया. वह 2018 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गयी थीं.

हल्दिया से माकपा विधायक तापस मंडल, तामलुक से भाकपा विधायक अशोक दिंडा और पुरुलिया से कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी भी भाजपा में शामिल हो गये.

पूर्व तृणमूल सांसद दशरथ तिर्की ने भी भाजपा की सदस्यता ले ली.

पूर्व मंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस, वाम और कांग्रेस के कई जिला स्तर के नेता भी भाजपा के खेमे में आ गये.

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शाह ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस का ‘मां, माटी, मानुष’ का नारा ‘वसूली, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद’ में तब्दील हो गया है. उन्होंने भरोसा जताया कि विधानसभा चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें जीत कर भाजपा राज्य में अगली सरकार बनाएगी.

शाह ने ममता पर तंज कसते हुए कहा, “जिस तरह से नेता आपकी पार्टी को छोड़ कर जा रहे हैं, चुनाव आने तक ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस में अकेली रह जाएंगी.”

शाह ने कहा, ‘‘जिस तरह की सुनामी आज मैं देख रहा हूं, उसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. ’’

माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि मेदिनीपुर में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली में भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ चुके लोगों के खिलाफ आरोप थे और उन्हें अंतत: पार्टी छोड़नी पड़ी.

उन्होंने कहा कि पार्टी ने तापस मंडल को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निकालने की योजना बनाई थी और उनके खिलाफ आंतरिक जांच लंबित है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस में बढ़ते असंतोष पर कहा कि पार्टी अपनी करनी का फल पा रही है.