नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने कहा है कि अगर किसी विमानन कंपनी को लगता है कि विमान में यात्रा के दौरान किसी दिव्यांग यात्री की हालत बिगड़ सकती है तो वह हवाई अड्डे पर मौजूद किसी चिकित्सक से इस संबंध में परामर्श लेने के बाद ही इस मुद्दे पर ‘उचित फैसला’ करें कि यात्री को विमान में यात्रा करने की अनुमति देनी है या नहीं.

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पीटीआई के मुताबिक, डीजीसीए ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर इसके बाद कोई विमानन कंपनी किसी दिव्यांग यात्री को यात्रा न करने देने का फैसला करती है तो तत्काल रूप से यात्री को लिखित में इसकी जानकारी दी जाए और उस पत्र में ऐसा करने के पीछे के कारण का उल्लेख भी हो.

दरअसल हाल ही में रांची हवाई अड्डे पर 7 मई को एक दिव्यांग लड़के को विमान में यात्रा करने से रोकने पर डीजीसीए ने विमानन कंपनी ‘IndiGo’ पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. इसके छह दिन बाद तीन जून को नियामक ने उपरोक्त नियमों का प्रस्ताव दिया था.

‘इंडिगो’ ने 9 मई को कहा था कि दिव्यांग बच्चा ‘घबराया’ हुआ था, इसलिए उसे रांची-हैदराबाद उड़ान में सवार नहीं होने दिया गया. इसके बाद बच्चे के माता-पिता ने भी विमान में यात्रा न करने का फैसला किया.

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डीजीसीए ने जनता से दो जुलाई तक उसके प्रस्तावों पर अपने विचार व्यक्त करने को कहा था.

डीजीसीए ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि उसके दिशा-निर्देशों में संशोधन से दिव्यांग लोगों को यात्रा करने में सहूलियत होगी.

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संशोधित नियमों के अनुसार, ‘‘अगर विमानन कंपनी को लगता है कि विमान में यात्री की हालत बिगड़ सकती है तो उस यात्री की एक चिकित्सक से जांच करवाई जाए…जो इस संबंध में अपनी राय दे कि यात्री यात्रा करने के लिए स्वस्थ है या नहीं.’’

नियमों के मुताबिक, चिकित्सकीय राय लेने के बाद विमानन कंपनी उचित फैसला करे.

बयान के अनुसार, ‘‘यदि यात्री को विमान में यात्रा करने से रोकने का फैसला किया जाता है तो तत्काल उसे लिखित में कारण बताते हुए इसकी जानकारी दी जाए.’’