पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में दोषी एजी पेरारीवलन (AG Perarivalan) को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है. 30 साल से सजा काट रहे पेरारीवलन को उच्चतम न्यायलय ने रिहा करने का आदेश दिया है. जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने पेरारीवलन को राहत देने के लिए आर्टिकल 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया. 

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बता दें कि 2008 में तमिलनाडु कैबिनेट ने पेरारीवलन को रिहा करने का फैसला किया था, लेकिन राज्यपाल ने मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था, तभी से उसकी रिहाई का मामला लंबित था. इस मामले में दया याचिका राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच लंबित रहने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है.

बेंच ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने सोच समझकर अपना निर्णय लिया था, आर्टिकल 142 के तहत दोषी को रिहा करना सही है.

सुप्रीम कोर्ट ने नौ मार्च को पेरारीवलन को उनकी लंबी कैद और पैरोल पर बाहर होने पर कोई शिकायत नहीं होने को ध्यान में रखते हुए जमानत दे दी थी.

 सुप्रीम कोर्ट 47 वर्षीय पेरारीवलन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी की जांच पूरी होने तक मामले में उसकी उम्रकैद की सजा को स्थगित करने की मांग की गई थी.

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राजीव गांधी की 21 मई 1991 की रात को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक रैली के दौरान एक महिला सुसाइड बॉम्बर द्वारा हत्या कर दी गई थी, हमलावर की पहचान धनु के रूप में हुई थी. 

मई 1999 के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों – पेरारीवलन, मुरुगन, संथम और नलिनी की मौत की सजा को बरकरार रखा था.

18 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीवलन की मौत की सजा को दो अन्य कैदियों- संथम और मुरुगन के साथ उम्रकैद में बदल दिया था. कोर्ट ने ये फैसला केंद्र द्वारा उनकी दया याचिका पर फैसला करने में 11 साल की देरी के आधार पर लिया था. 

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