आज (14 अगस्त 2022) पूरा भारत देश ‘विभाजन
विभीषिका स्मृति दिवस’ मना रहा है. जी हां, इस दिवस की शुरुआत, एक साल पहले जब देश 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने वाला था और आजादी का
अमृत महोत्सव की शुरुआत हुई, उससे एक दिन पहले यानि 14 अगस्त 2021 को पीएम मोदी के
द्वारा की गई थी. जहां पर पीएम मोदी ने कहा कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी
भुलाया नहीं जा सकता है. विभाजन के समय हुई उस हिंसा के चलते तमाम बहनों एवं
भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी. उन लोगों के संघर्ष और
बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर याद किए
जाने का फैसला किया गया है.

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क्या हुआ था 14 अगस्त की तारीख के दिन ?

1947 में हुआ भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं था.
इसका दर्द आजतक देश को झेलना पड़ रहा है. दरअसल, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की तरफ से
पाकिस्तान को 1947 में भारत के विभाजन के बाद एक मुस्लिम देश के रूप में मान्यता
दे दी गयी थी. जिससे बड़ी संख्या में लोगों के विस्थापन के साथ साथ बड़े पैमाने पर
भयंकर दंगे भड़के थे जिसके चलते हमारे तमाम भाई बहनों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी
थी. कितने लोग अपनों से बिछड़ गए, कितनों ने अपना सबकुछ खो दिया. यह मंजर कितना
भयानक रहा होगा, यह सोंचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

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इस विभीषिका में झुलसे लोगों का हाल

इतिहास के पन्नों को पलटा जाए, तो 14 अगस्त का दिन बहुत ही भयावह दिन
था. इस एक दिन में ही बहुत कुछ बंट गया और बर्बाद हो गया. इस दिन दोनों
देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों-रात अपने ही देश में लाखों लोग
बेगाने और बेघर हो गए. बंटवारे की इस आंधी ने बहुत सारे लोगों से बहुत कुछ छीन
लिया जिसकी भरपाई कर पाना नामुमकिन था. लोगों की बसी बसाई जिंदगी उजड़ गई, तो कहीं
पर लोगों ने अपनों को ही खो दिया. इस अदला-बदली में दंगे भड़के, कत्लेआम
हुए. जो लोग बच गए, उनमें लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई.
भारत-पाक विभाजन की यह घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई. विभाजन विभीषिका
स्मृति दिवस इसी दर्द को याद करने का दिन है.