नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों द्वारा घोषित ‘चक्का जाम’ के दौरान शनिवार को मंडी हाउस और आईटीओ समेत दिल्ली मेट्रो के 10 प्रमुख मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार बंद रहे और अपराह्न तीन बजे प्रदर्शन खत्म होने के बाद उन्हें खोल दिया गया.

डीएमआरसी ने शाम को ट्वीट किया कि ‘चक्का जाम’ के मद्देनजर बंद किए गए सभी 10 मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार फिर से खोल दिए गए हैं और सामान्य सेवा फिर से शुरू कर दी गई है.

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इससे पहले सुबह डीएमआरसी ने कई ट्वीट कर यात्रियों को सूचित किया था कि कई स्टेशनों को बंद कर दिया गया है.

उसने ट्वीट किया, ‘मंडी हाउस, आईटीओ और दिल्ली गेट के प्रवेश/निकास द्वार बंद हैं.’

बाद में की गई ट्वीट में कहा गया कि विश्ववद्यालय स्टेशन के प्रवेश और निकास द्वार भी बंद कर दिए गए हैं.

डीएमआरसी ने कहा, ‘लाल किला, जामा मस्जिद, जनपथ और केंद्रीय सचिवालय के प्रवेश/निकास द्वार बंद हैं. इंटरचेंज सुविधा उपलब्ध है.’

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एक और ट्वीट में कहा गया था, ‘‘खान मार्केट और नेहरू प्लेस के प्रवेश/निकास द्वार बंद हैं.’’

हालांकि शाम को डीएमआरसी ने ट्वीट किया कि सभी 10 मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार फिर से खोल दिए गए हैं और सामान्य सेवा को फिर से शुरू कर दिया गया है.

उसने ट्वीट किया, ‘सभी स्टेशनों के प्रवेश/निकास द्वार खुले हैं. सामान्य सेवा फिर से बहाल हो गई है.’

दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि 26 जनवरी को हुई हिंसा के मद्दनेजर दिल्ली पुलिस ने सीमाओं पर सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध किए हैं ताकि उपद्रवी दिल्ली में नहीं घुस पाएं.

किसान संगठनों ने छह फरवरी को देशव्यापी ‘चक्का जाम’ की घोषणा की थी, जिसके तहत वे दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध करने की बात कही थी. प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन स्थलों के पास के क्षेत्रों में इंटरनेट प्रतिबंध, अधिकारियों द्वारा कथित रूप से किए जा रहे उत्पीड़न और अन्य मुद्दे को लेकर चक्का जाम किया.

हालांकि, कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के समूह ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने शुक्रवार को कहा था कि ‘चक्का जाम’ के दौरान प्रदर्शनकारी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सड़कों को अवरुद्ध नहीं करेंगे.

इस बीच, पंजाब और हरियाणा में शनिवार को ‘चक्का जाम’ के दौरान, किसानों ने नारेबाजी की और कई स्थानों पर अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को राजमार्गों के बीच लगाकर सड़कों को अवरूद्ध कर दिया.

राजस्थान में भी, केंद्र के नए कृषि कानूनों और अन्य मुद्दों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कई स्थानों पर सड़कों को अवरुद्ध कर दिया.

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