बीते कुछ सालों में हार्ट अटैक (Heart Attack) के इतने सारे केस सामने आ गए हैं कि चलते-फिरते,डांस करते और स्पीच देते-देते ही लोगों को दिल का दौरा पड़ रहा है और उनकी मृत्यु हो जाती है. वैसे तो 40 के पार लोगों को जिनमें हार्ट(Heart), डायबिटीज (Diabetes), हाइपरटेंशन (Hypertension) जैसी बीमारी हो अटैक की ज्यादा संभवाना होती है लेकिन आजकल तो बहुत ही कम उम्र के लोग हार्ट अटैक की वजह से मर रहे हैं.हाल ही में जम्मू-कश्मीर का एक मामला सामने आया है. वहां एक कलाकार की स्टेज परफॉर्मेंस (Stage Performance) के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई. ये केस जम्मू-कश्मीर के बिश्नाह का है जहां जागरण में डांस करते-करते एक 20 वर्षीय लड़का धड़ाम से जमीन पर गिरता है और उसकी मौत हो जाती है.

दरअसल जागरण कार्यक्रम के दौरान स्टेज पर शिव और पार्वती के नाटक का
मंचन चल रहा था. पार्वती का किरदार निभा रहा 20 साल का युवक भक्ति में लीन होकर
डांस कर रहा था. चारों तरफ भक्तिमय माहौल था कि तभी वह युवक जमीन पर गिर गया. सबको
लगा कि यह परफॉरमेंस का ही हिस्सा है लेकिन जब कुछ देर बाद भी वह नहीं उठा तो शिव
का किरदार निभा रहे युवक ने पास जाकर देखा वह मर चूका था. आनन-फानन में उसे अस्पताल
लेकर गए लेकिन डॉक्टर्स ने उस मृत घोषित कर दिया.

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हार्ट अटैक का अकेला यही मामला ही नहीं है बल्कि अभी हाल ही में
उत्तर प्रदेश में गणेश चतुर्थी के दौरान भी एक कलाकार की हार्ट अटैक से मौत हो गई
थी. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.

बता दें कि बीते कुछ सालों में ऐसे कई हार्ट अटैक के मामले सामने आएं
हैं जिनमे मरने वालों की उम्र 20-30 साल के बीच की है. आइए जानते हैं कि आखिर
क्यों बढ़ रहे है हार्ट अटैक के इतने केस.

एक नजर बढ़ते हार्टअटैक के मामलों पर

दिल हमारे शरीर का वो महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना जीने की कल्पना करना निरर्थक होगा. दिल हमारे पूरे शरीर
में ऑक्सीजन और खून की सप्लाई करता है. इसलिए यह कहना गलत न होगा कि दिल शरीर के बाकी
अंगों को जिंदा रखने का काम करता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में दिल के रोगों और
हार्ट अटैक के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. आमतौर पर 40 से अधिक उम्र के उन लोगों को
जिनमे हार्ट, डायबिटीज, हाइपरटेंशन
जैसी बीमारियां हों हार्ट अटैक की अधिक संभावन होती है. लेकिन इसके विपरीत बीते
कुछ सालों में उन युवाओं में हार्टअटैक के मामले सामने आ रहे हैं जो शारीरिक रूप
से फिट हैं और उनकी मृत्यु हो रही है.

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क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के केस

आमतौर पर लोगों में दिल की बीमारियों लेकर जागरूकता की कमी देखी गई
है. एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 50 फीसदी हार्ट अटैक के मरीज समय पर अस्पताल
नहीं पहुंच पाते हैं. कई बार तो लोग दिल की बीमारियों के लक्षणों को नजरअंदाज कर
देते हैं. छाती में हो रहे दर्द को गैस दर्द समझ लेते हैं और अस्पताल नहीं जाते. ऐसे में कई बार स्थिति इतनी  खराब हो जाती है और अचानक से हार्ट अटैक आ जाता
है. बता दें कि कोरोना महामारी के बाद से हार्ट अटैक और उससे होने वाली मौतों के
आंकड़ों में भारी इजाफा हुआ है.

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फेमस एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कोरोना होने के बाद कई लोगों में खून पतला होने
की दिक्कत पाई गई है. जिसकी वजह से दिल की आर्टीरीज में ब्लड क्लॉट बनने से भी
हार्ट फंक्शन प्रभावित होता है जो हार्ट अटैक का कारण है.

-यदि परिवार में किसी को दिल की बीमारी है तो उस परिवार में कम उम्र
के लोगों में भी दिल के रोग होने की संभावना अधिक होती है.

– डायबिटिज
के मरीजों में हार्ट अटैक की संभावना सबसे ज्यादा होती है.

-युवाओं में हाइपरटेंशन की बीमारी भी हार्ट अटैक का एक कारण बन रही
है.

-अधिक वजन और मोटापा भी दिल की बीमारियों को न्योता देता है.

-सिगरेट,शराब और नशे का
सेवन दिल के रोगों बढाता है.

-गलत खानपान और तनाव हार्ट अटैक के खतरे को बढाता है.

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क्या हैं हार्टअटैक के लक्षण

कई बार लोग सही जानकारी के अभाव में हार्टअटैक के दर्द को गैस का
दर्द समझने की भूल कर बैठते हैं और उन्हें इसका बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है.

-गैस के दर्द में कभी भी बाएं हाथ में दर्द नहीं होता, घबराहट और पसीना नहीं आता है. यदि सीने में इस तरह
का दर्द महसूस हो रहा है तो तुंरत अस्पताल जाना चाहिए, ताकि कोई अनहोनी न हो.

-हार्ट अटैक के दौरान होने वाला दर्द गैस या और किसी बीमारी के दर्द
से काफी अलग होता है. इसमें सीने पर दबाव, जकड़न या उसे कोई निचोड़ रहा हो जैसा महसूस होता है.

-हार्ट अटैक आने पर बेचैनी होती है, और दर्द कंधे, हाथ, पीठ, गर्दन और शरीर के ऊपरी हिस्सों तक फैल सकता है.

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हार्ट अटैक आने पर प्राथमिक उपचार

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को दिल की बीमारी है और अचानक उसे हार्ट अटैक के लक्षण
दिखते हैं तो उसे तुरंत अपने परिवार के लोगों से संपर्क करना चाहिए और एंबुलेंस को
बुलाना चाहिए. घर में हमेशा एस्पिरिन (डिस्प्रिन) की गोली रखनी चाहिए. और अचानक
हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर इस गोली को खा लेना चाहिए. 

(नोटः ये जानकारी एक सामान्य सुझाव है. इसे किसी तरह के मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें. आप इसके लिए अपने डॉक्टरों से सलाह जरूर लें.)