कोरोना महामारी (Coronavirus) का डर तो अभी ठीक से लोगों के
ज़हन से निकल भी नहीं पाया है कि केरल (Kerala) में वेस्ट नाइल वायरस का कहर शुरू हो गया
है. स्वास्थ्य विभाग के लिए भी यह काफी चिंता का विषय बन गया है. केरल के त्रिशूर
में  पिछले हफ्ते एक 47 वर्षीय व्यक्ति ने
नाइल बुखार के चलते दम तोड़ दिया. बता दें नाइल फीवर एक मच्छर जनित बीमारी है. राज्य
में यह फीवर से दूसरी मौत बताई जा रही है . इससे पहले 2019 में ऐसा मामला हुआ था.

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वेस्ट नाइल एक जानलेवा वायरस है

यह वायरस सबसे अधिक संक्रमित मच्छर के काटने से
फैलता है. वेस्ट नाइल वायरस (WNV)
के मामले गर्मियों में शुरू होते हैं और मॉनसून के मौसम तक जारी रहते
हैं. वेस्ट नाइल वायरस आरएनए वायरस है जो वेस्ट नाइल बुखार का कारण बनता है. यह
जीनस फ्लैविवायरस में से एक है,
जिसमें जिका वायरस,
डेंगू वायरस और पीले बुखार वायरस भी शामिल हैं. यह ज्यादातर फ्लू
जैसे लक्षणों का कारण बनता है और ज्यादा गंभीर मामलों में इससे जान जाने का भी डर
रहता है.

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आखिर क्या है वेस्ट नाइल बुखार ?

वेस्ट नाइल फीवर एक मच्छर जनित रोग है, जो वेस्ट नाइल वायरस के कारण होती है.
यह एक सिंगल-स्ट्रैंडेड आरएनए वायरस है. यह संक्रमण क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से
मनुष्यों में फैल जाता है. ये मच्छर संक्रमित पक्षियों से वायरस का प्रसार करते
हैं. क्यूलेक्स मच्छर पूरे देश में उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में पाए जाते हैं.
इंसानों के अलावा, घोड़े
और अन्य स्तनधारी भी इस रोग से संक्रमित हो सकते हैं. वेस्ट नाइल वायरस संक्रमित
मनुष्यों या जानवरों के संपर्क में आने से नहीं फैलता. यह संक्रमित मच्छरों के
काटने से ही फैलता है.

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वेस्ट नाइल बुखार के लक्षण

वेस्ट नाइल वायरस घातक होने पर जान ले सकता है.
वायरस से संक्रमित लगभग 80% लोगों में लक्षण नजर ही नही आते हैं. जबकि लगभग 20%
संक्रमित लोग बुखार से पीड़ित हो जाते हैं. कई बार व्यक्ति खुद पता नहीं चल पाता
है कि वह संक्रमित हो गया है. रोग के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर
में दर्द, मतली, दाने और कभी-कभी गले में सूजन आदि
शामिल हैं. वहीं बताया जा रहा है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के संक्रमित व्यक्ति को
ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसे उनका मस्तिष्क प्रभावित हो सकता
है. इससे आगे चलकर इंसेफेलाइटिस या मेनिन्जाइटिस जैसे जानलेवा संक्रमण हो सकते
हैं.

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इस वायरस से बचाव

मच्छरों के काटने से खुद को बचाना ही बीमारी को
रोकने का एकमात्र तरीका है. पूरे कपड़े पहनें, अच्छी तरह से शरीर को ढकें क्योंकि यह संक्रमित मच्छरों के संपर्क
में आने में बाधा का काम करेगा. खुले में पानी का जमाव न होने दें , पानी के
स्टोरेज कंटेनरों को कवर करना चाहिए. पूल, यार्ड और बगीचों में कचरों की ढंग से सफाई करनी चाहिए. जिससे मच्छरों
का प्रकोप न बढ़ सके.

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वेस्ट नाइल फीवर का इलाज

बुखार का एहसास होने पर तुरंत इसकी जांच कराएं गंभीर
मामलों में, उपचार
में मुख्य रूप से अस्पताल में भर्ती, तरल पदार्थ, सांस
से जुड़ी सहायता और संक्रमण फिर से ना हो इसके लिए रोकथाम शामिल है. इस तरह का
इलाज मुहैय्या कराकर पेशेंट को बचाया जा सकता है. फिलहाल अभी इस वायरस के लिए कोई
टीका उपलब्ध नहीं है.

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