कॉफी पीना हर किसी को पसंद नहीं होता लेकिन कई लोग कॉफी ही पीते हैं. किसी भी चीज का ज्यादा सेवन नुकसान करता है लेकिन कॉफी के शौकीन लोगों के लिए एक अच्छी खबर है, वो ये कि कॉफी का सेवन करने से अल्जाइमर नाम की बीमारी देरी से डेवलप होती है और यह बात ‘फ्रंटियर्स इन एजिंग न्यूरोसाइंस जर्नल’ में प्रकाशित की गई है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसमें एक रिसर्च हुआ और इसका टॉपिक था कि क्या कॉफी का एक दशक से अधिक सेवन करने वाले 200 लोगों की संज्ञानात्मक गिरावट की दर को कितना प्रभाव किया जा सकता है?

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एक्सपर्ट्स के मुताबिक, शुरुआत में ये समझ आया कि प्रतिभागियों में कोई मेमोरी लॉस नहीं था और वे शुरू में ज्यादा कॉफी पीते थे. उन्हें संज्ञात्मक हानि का जोखिम कम था जैसा अक्सर अल्जाइमर रोग के दौरान होता है. ज्यादा कॉफी पीने से संज्ञात्मक काम के कुछ क्षेत्रों में पॉजिटिव रिजल्ट भी आए और इसमें योजना बनाना, आत्मनिमंत्रण या एकाग्रता शामिल रहा. इस रिसर्च में यह भी पता लगाया गया कि ज्यादा कॉफी पीने से दिमाग में अमाइलॉइड प्रोटीन के संचय को धीमा प्रतीत होता है जो अल्जाइमर रोग के विकास का प्रमुख कारक बताया जाता है.

कितनी कॉफी पीने से कम रहता है खतरा?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर आप घर पर कॉफी बनाकर पीते हैं तो दिनभर में आप कॉफी का औसत कप 240 ग्राम पी सकते हैं जो दिन में दो कप होती है. दिन में दो कप बढ़ाने से 18 महीनों के बाद संज्ञात्मक गिरावट संभावित रूप से 8 प्रतिशत कम हो जाती है और इसी समय दिमाग में अमाइलॉइड संचय में 5 प्रतिशत कम देखा जा सकता है. ऐसे में एक्सपर्ट्स ने पाया कि दिनभर में दो कप कॉफी अल्जाइमर रोग को शुरुआती समय में धीमा किया जा सकता है.

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क्या होता है अल्जाइमर रोग?

अक्सर आपने सुना होगा कि 60 साल की उम्र पार करने के बाद महिला हो या पुरुष उनमें भूलने की बीमारी अपने आप आ जाती है. कई बातें कहकर, कुछ चीजें रखकर वे अक्सर भूल जाते हैं. ऐसा इसलिए होता है कि 60 साल के बाद अल्जाइमर रोग होना आम बात है और इस बीमारी के लक्षण याद्दाश्त की कमी होना, निर्णय नहीं ले पाना, किसी बात को बोलने में कांपना या कोई दूसरी दिक्कत होना शामिल है.

नोटः ये जानकारी एक सामान्य सुझाव है. इसे किसी तरह के मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें. आप इसके लिए अपने डॉक्टरों से सलाह जरूर लें.

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