संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि नयी दिल्ली में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) का स्तर 70 प्रतिशत से अधिक घट गया. वहीं, आगाह किया है कि अगर वायु प्रदूषण को रोकने की नीति अपनाए बिना और कार्बन कम करने को बढ़ावा दिए बिना शहर फिर से खुलते हैं तो पर्यावरणीय लिहाज से हुए लाभ अस्थायी रह जाएंगे.

‘शहरी दुनिया में कोविड-19’ पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पॉलिसी ब्रीफ में कहा गया कि कोविड-19 के अनुमानित 90 प्रतिशत मामलों में, शहरी इलाके वैश्विक महामारी के केंद्र बन गए हैं. इसने इस बात का भी इशारा किया कि कई नये वैज्ञानिक अध्ययन दिखाते हैं कि खराब वायु गुणवत्ता का कोविड-19 की अधिक मृत्यु दर से सह संबंध है.

शहरी इलाकों की आबादी और वैश्विक एवं स्थानीय अंतरसंपर्क का उच्च स्तर वायरस के प्रसार के प्रति उन्हें संवेदनशील बनाता है.

पॉलिसी ब्रीफ में कहा गया कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशों द्वारा उनकी अर्थव्यवस्था को विराम देने के दौरान प्रदूषण एवं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भले ही काफी घट गया हो लेकिन ये पर्यावरणीय लाभ अस्थायी हो सकते हैं अगर अर्थव्यवस्थाओं को फिर से खोलते वक्त वायु प्रदूषण को रोकने और कार्बन कम करने के कार्य को बढ़ावा देने की नीति नहीं अपनाई जाती है.

पॉलिसी ब्रीफ में कहा गया, “लॉकडाउन के दौरान नयी दिल्ली में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 70 प्रतिशत, चीन के शरहरी इलाकों में 40 प्रतिशत, बेल्जियम और जर्मनी में 20 प्रतिशत और अमेरिका के विभिन्न इलाकों में 19-40 प्रतिशत तक कम हुआ.”

इसमें कहा गया कि अति सूक्ष्म कणों (पर्टिकुलेट मैटर) में मामूली बढ़ोतरी अमेरिका और नीदरलैंड्स में मृत्यु दरों में क्रमश: आठ प्रतिशत और 21.4 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी से जुड़ा हुआ है.

नये साक्ष्य गर्भवती महिला और नवजात शिशुओं के साथ ही मातृत्व मृ्त्यु दर पर प्रभाव को भी दर्शाते हैं खासकर उन आबादी के बीच जो हाशिए पर रहने के कारण पहले से ही सामाजिक-आर्थिक तनाव में हैं.

अनौपचारिक बस्तियों में कोविड-19 प्रकोप पर, सार में कहा गया कि मुंबई में, मध्य अप्रैल 2020 तक, 30 प्रतिशत निर्धारित निरुद्ध क्षेत्र झुग्गी बस्तियों में थे जबकि 60 प्रतिशत क्षेत्र अनौपचारिक बस्तियों के 100 मीटर के दायरे में थे.

अपने संदेश में, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि शहरी इलाके कोविड-19 वैश्विक महामारी के ग्राउंड जीरो थे जहां से 90 प्रतिशत मामले सामने आए.

उन्होंने कहा, ‘‘शहर संकट का दंश झेल रहे हैं – जिनमें से कई की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बोझ तले दबी हैं, पानी एवं साफ-सफाई सेवा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है तथा अन्य चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. यह खासकर गरीब इलाकों के साथ है जहां वैश्विक महामारी ने जड़ में बसी असमानताओं को उजागर किया है.”

गुतारेस ने कहा, ‘‘हमें उसी तत्कालिकता के साथ काम करना होगा और शहरों को बदलने तथा जलवायु एवं प्रदूषण संकट से निपटने के लिए संकल्प लेना होगा. अब फिर से सोचने और शहरी जगत को नया आकार देने की जरूरत है.”