भारत में विशेषज्ञ लगातार तीसरी लहर के आने
की आशंका जता रहे हैं. कई विशेषज्ञों के अनुसार भारत में आने वाली तीसरी लहर के लिए ‘डेल्टा प्लस
वैरिएट’ जिम्मेदार हो
सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना को हराने के लिए वैक्सीन ही सबसे बड़ा हथियार
है. भारत में लोगों को फिलहाल तीन वैक्सीन लगाई जा रही हैं, कोवैक्सीन, कोविशील्ड
और स्पूतिन-वी. हालांकि इन वैक्सीन की एफिकेसी (efficacy) को लेकर भी
लगातार सवाल उठते रहते हैं.

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भारत बायोटेक की बनाई
हुई कोरोना वैक्सीन, कोवैक्सीन के फेज़-3 ट्रायल के डेटा सामने आए हैं. भारत बायोटेक
ने ट्वीट के जरिए इस वैक्सीन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर की है.

भारत बायोटिक की मानें
तो कोवैक्सीन का भारत में एक बड़ा ट्रायल किया जा रहा है. 18 से 98 साल के लोगों का ट्रायल अभी तक 25
अस्पतालों में किया जा चुका है.

कम्पनी के अनुसार सामान्य कोरोना के मामलों में कोवैक्सीन की एफिकेसी 78 फीसदी बताई
है. वहीं सिर्फ गंभीर कोरोना मरीजों पर इसकी एफिकेसी 93 फीसदी है.

इस वैक्सीन को लेने के
बाद कोरोना संक्रमित व्यक्ति के हॉस्पिटल में भर्ती होने की उम्मीद कम ही जताई जा
रही है. इसके साथ ही कंपनी ने यह दावा किया कि बिना लक्षण यानी asymptomatic मरीजों में इस वैक्सीन की एफिकेसी
63 फीसदी है. वहीं इस वैक्सीन को डेल्टा वैरियंट के ख़िलाफ़ भी 65 फीसदी कारगर
बताया जा रहा है.

वैक्सीन की दोनों डोज
लेने पर, संक्रमण का खतरा बेहद कम

कोवैक्सीन के फेज़-3
ट्रायल की इस अध्ययन के अनुसार 16 नवंबर 2020 से 7 जनवरी 2021 के बीच 25 हज़ार 798
लोगों पर ट्रायल किया गया है. इस ट्रायल के दौरान यह बात सामने आई है कि वैक्सीन की
दोनों डोज़ लेने के 2 हफ्ते बाद मात्र 0.77 फीसदी लोग की कोरोना से संक्रमित हुए. कम्पनी
ने दावा किया है कि वैक्सीनेशन की वजह से अभी तक किसी व्यक्ति की भी मौत नहीं हुई
है. इसको लगाने के बाद आपके शरीर पर ज्यादा प्रभाव भी नहीं होते, बाकी वैक्सीन के
मुकाबले.

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