क्या आप कभी अपने डेस्क पर काम करते
हुए सो जातें हैं? जब थकान शरीर पर हावी हो जाती है, तो नींद को हराना और शरीर को स्नूज़ करने से रोकना आसान नहीं होता, चाहे वह
कोई भी स्थान हो. लेकिन बैठे-बैठे सोना (Sleep) कितना स्वस्थ है? नींद की
स्थिति नींद और स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है. यह ध्यान दिया जाना
चाहिए कि हर प्रभाव शरीर के लिए फायदेमंद नहीं हो सकता है. आइये जानते हैं बैठे-बैठे सोने के फायदे और नुकसान के बारे में.

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1.पीठ दर्द का कारण बन सकता है: सोते समय बैठने से शरीर लंबे समय तक एक ही स्थिति में रह
सकता है, चाहे वह किसी भी प्रकार का हो. एक
अस्वास्थ्यकर मुद्रा के परिणामस्वरूप पीठ और शरीर में दर्द हो सकता है.

2.जोड़ों में अकड़न हो सकती है: गतिशीलता की कमी और खिंचाव की क्षमता के कारण जोड़ों में अकड़न हो सकती है. लेटने से शरीर में खिंचाव आता है. दूसरी ओर, बैठना संचलन को प्रतिबंधित करता है.

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3.रक्त संचार खराब कर सकता है: लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से धमनी में रक्त प्रवाह
में रुकावट हो सकती है. इसके परिणामस्वरूप बिगड़ा हुआ परिसंचरण की स्थिति हो सकती
है.

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बैठकर सोने के कुछ फायदे

1.गर्भावस्था के दौरान आरामदायक: गर्भवती महिलाएं अक्सर अपने पेट के लिए उपयुक्त और आरामदायक
स्थिति खोजने के लिए संघर्ष करती हैं. वे बैठने की स्थिति में सोने से अपने पेट को
आराम और सहारा देकर लाभ उठा सकती हैं.

2.स्लीप एपनिया में मदद कर सकता है: सोते हुए बैठने से ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लक्षणों को
कम करने में मदद मिल सकती है और इससे लोगों को फायदा हो सकता है. यह सिर की उच्च
स्थिति के कारण है.

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3.एसिडिटी से राहत दे सकता है: बैठने से अन्नप्रणाली के कार्य में सहायता मिल सकती है. इसलिए, जो लोग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानी और पाचन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, वे बैठी हुई नींद से लाभ उठा सकते हैं.

नोटः ये जानकारी एक सामान्य सुझाव है. इसे किसी तरह के मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें. आप इसके लिए अपने डॉक्टरों से सलाह जरूर लें.