बंगाल की प्रसिद्ध गायिका निर्मला मिश्रा (Nirmala Mishra) का रविवार यानी 31 जुलाई की सुबह निधन हो गया था. वे लंबे समय से बीमार थीं और अस्पताल में भर्ती थीं. कुछ समय पहले ही परिवार उन्हें घर लेकर आया और वे साउथ कोलकाता के चेतला इलाके में अपने परिवार के साथ रहती थीं. निर्मला मिश्रा बालकृष्ण दास पुरस्कार से भी सम्मानित थीं. पीटीआई के मुताबिक, डॉक्टर्स ने बताया कि निर्मला मिश्रा को दिल का दौरा पड़ा था. चलिए आपको उनसे जुड़ी कुछ और बातें बताते हैं.

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कौन थीं निर्मला मिश्रा?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 21 अक्टूबर, 1938 को वेस्ट बंगाल के माजिलपुर में जन्मीं निर्मला मिश्रा के संतीज्ञ पिता पंडित मोहिनीमोहाना मिश्रा थे और उनकी मां भाबनी देवी थीं जो दुर्गाष्टमी में गीत गाती थीं. संगीत की शिक्षा निर्मला जी को उनके पिता से मिली थी और उनके बड़े भाी मुरारी मोहन मिश्रा भी बंगाल के फेमस सिंगर थे. उनके परिवार में बैनर्जी सरनेम लगता था लेकिन संगीत की दुनिया में आकर मिश्रा उपनाम मिला. निर्मला मिश्रा को पहला मौका साल 1960 में म्यूजिक डायरेक्टर बालाकृष्णा दास ने दिया था.

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ये सुपरहिट गाना हुआ और इसके बाद निर्मला मिश्रा ने बैक टू बैक बंगाली फिल्मों के लिए गाने गाए. उड़िया फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी निर्मला मिश्रा ने कई गाने गाए हैं. पश्चिम बंगाल में निर्मला मिश्रा सबसे सम्मानित और प्रशंसित पार्श्व गायकों में से एक रही हैं. जिन्होंने उड़िया और बंगाली फिल्मों के लिए प्लेबैक सिंगर के तौर पर कई सफल गाने गाए.

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‘ईमोन एकता झिनुक’, ‘बोलोतो अर्शी’, ‘कागोजेर फूल बोले’, ‘ई बांग्लार माटी चाय’ और ‘आमी तोमर’ जैसे कई लोकप्रिय बंगाली गाने हैं, जिन्हें उन्होंने अपनी आवाज दी. इसके अलावा, निर्मला मिश्रा के ‘तुमी आकाश एकखुन जोड़ी’ और ‘अमी हरिये फेलेची गणेर साथिरे’ जैसे गाने भी गाए हैं.