हिंदी सिनेमा के पॉपुलर गीतकार गुलजार साहब की शायरियां, कविताएं और गाने बेमिसाल होते हैं. गुलजार का जन्म 18 अगस्त, 1934 को गुजरात के दीना (अब पाकिस्तान) में हुआ था. पाकिस्तान के झेलम में जन्मे, वह विभाजन के बाद भारत आए, जिस वजह से उनके अंदर बहुत से घाव और दर्द छिपा था जो बाद में उनके कविताओं के माध्यम से परिलक्षित हुआ. गुलजार ने बंदिनी के लिए एक गीतकार के रूप में अपना करियर शुरू किया और बाद में फिल्म ‘मेरे अपने’ के साथ निर्देशन की दुनिया में प्रवेश किया.

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गुलजार की 10 बेहतरीन शायरियां

1. दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

जैसे एहसाँ उतारता है कोई

दिल में कुछ यूँ सँभालता हूँ ग़म

जैसे ज़ेवर सँभालता है कोई

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2. ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी

उन की बात सुनी भी हम ने अपनी बात सुनाई भी

कल साहिल पर लेटे लेटे कितनी सारी बातें कीं

आप का हुंकारा न आया चाँद ने बात कराई भी

3. आइना देख कर तसल्ली हुई

हम को इस घर में जानता है कोई

पेड़ पर पक गया है फल शायद

फिर से पत्थर उछालता है कोई

देर से गूँजते हैं सन्नाटे

जैसे हम को पुकारता है कोई

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4. इतना क्यों सिखाई जा रही हो जिंदगी

हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां

5. अच्छी किताबें और अच्छे लोग

तुरंत समझ में नहीं आते हैं,

उन्हें पढना पड़ता हैं

6. कुछ अलग करना हो तो

भीड़ से हट के चलिए,

भीड़ साहस तो देती हैं

मगर पहचान छिन लेती हैं.

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7. मैं दिया हूँ

मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं

हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं

8. सुनो…

जब कभी देख लुं तुमको

तो मुझे महसूस होता है कि

दुनिया खूबसूरत है.

9. कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते

एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें

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10. घर में अपनों से उतना ही रूठो

कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,

दोनों बरक़रार रह सके