भारत 2022 में अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75वें वर्ष के
उपलक्ष्य में 15 अगस्त को ‘हर घर तिरंगा‘ अभियान चलाने की अपील की है.
प्रधानमंत्री की अपील के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इसे सफल बनाने के लिए
जी-तोड़ मेहनत कर रही है. आपको जानकर हैरानी होगी कि तिरंगे की रूपरेखा भले ही
स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने तैयार की थी, लेकिन स्वतंत्र भारत में अपने हाथों से राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने वाले
पहले व्यक्ति मेरठ, उत्तर प्रदेश के नत्थे सिंह थे.

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स्वतंत्र भारत का पहला तिरंगा मेरठ में बना था

1925 में सुभाष नगर, मेरठ के निवासी नत्थे सिंह ने स्वतंत्र भारत का पहला
तिरंगा बनाया. उस समय नत्थे सिंह की उम्र करीब 22 साल थी. तभी से उन्होंने तिरंगे झंडे को जीवन का मकसद बना लिया. नत्थे के साथ उनका परिवार भी तिरंगा बनाने
में जुट गया. वर्ष 2019 में देशभक्ति के इस कृत्य को संपादित
करते समय नत्थे सिंह की मृत्यु हो गई. 

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संसद में बैठक के बाद नत्थे सिंह को मिली जिम्मेदारी

ज़ी न्यूज़
केमुताबिक नत्थे सिंह के बेटे रमेश ने याद करते हुए कहा कि उनके पिता ने बताया था
कि जब देश आजाद हुआ और संसद भवन में बैठक हुई तो क्षेत्रीय गांधी आश्रम, मेरठ को पहली बार तिरंगा बनाने का काम सौंपा गया.
यहां स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज बनाने की जिम्मेदारी नत्थे सिंह को दी
गई थी. 

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तिरंगे का कारोबार बढ़ा

पीएम की
अपील और सीएम योगी के प्रयासों से प्रदेश में तिरंगा बनाने का काम जोरों पर चल रहा
है. इससे ध्वज निर्माताओं के रोजगार में काफी वृद्धि हुई है. इतना ही नहीं अब झंडा
बनाने वाले ठेकेदारों के लिए कारीगरों को लाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि झंडे की मांग ज्यादा है और इसे बनाने
वाले कारीगरों की संख्या बहुत कम है. कम से कम यह तो साबित हो गया है कि अब
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे ने देश के गौरव के साथ-साथ लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी
बढ़ाए हैं.