जब भी हम बाजार से कोई सामान या वस्तु की
खरीददारी करने जाते हैं, तो सबसे पहले हम उसके रेट और  गारंटी/वारंटी
के बारे में जानकारी हासिल करते हैं. आपको बता दें, अक्सर लोग गारंटी और वारंटी
में भ्रमित हो जाते हैं. दुकानदार इसी बात का गलत फायदा उठाते हुए कस्टमर को
गारंटी की जगह वारंटी देकर ग्राहक को बेवकूफ बना देते हैं. इसलिए इन दोनों शब्दों
के बारे में जरुर पता होना चाहिए . जिससे आप कोई घाटे का सौदा कर से बच सकें.

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हम अक्सर तमाम बार गारंटी और वारंटी जैसे शब्द
सुनते रहते हैं. ये वो शब्द हैं जो अक्सर कस्टमर के प्रोडक्ट सेलेक्शन पर सीधे असर
डालते हैं. गारंटी और वारंटी की अवधि सुनकर कस्टमर तुरंत ज्यादा गारंटी या वारंटी
वाला प्रोडक्ट की तरफ आकर्षित हो जाता है. लेकिन ज्यादातर लोगों को इन दोनों ही
शब्दों के बीच का अंतर नहीं पता होता है. आज हम आपको दोनों शब्दों के बीच का अंतर
बताते हैं.

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गारंटी का आशय

अगर आप कोई सामान खरीदते हैं और वो गारंटी
पीरियड में हो. तो यह सौदा काफी फायदेमंद होता है. मतलब साफ है कि अगर सामान दिए
गए गारंटी पीरियड में खराब हो जाता है तो दुकानदार को आपका प्रोडक्ट सीधे बदलकर
नया देना होगा. वहीं इसके लिए प्रोडक्ट्स के साथ आपको एक बिल या गारंटी कार्ड दिया
जाता है. इसे संभाल कर रखना होता है क्योंकि इसे दिखाने के बाद ही आपका गारंटी
प्रोडक्ट बदला जाएगा.

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वारंटी का मतलब

वहीं अगर आपका प्रोडक्ट वारंटी में है तो इसका
मतलब गारंटी से अलग होता है. मतलब साफ है कि वारंटी कार्ड की तय समय सीमा के अंदर आपका
खरीदा सामान खराब हो जाता है, तो दुकानदार उसे आपको रिपेयर करा कर वापस देगा न कि
बदल कर वापस देगा. इसके लिए भी आपको अपने सामान के साथ दिए गए बिल या वारंटी कार्ड
को संभाल कर रखना होता है. अगर ये खो जाए तो दुकानदार आपका सामान रिपेयर करने से
इंकार कर सकता है.