भारत कृषि प्रधान देश है. यहां पर सभी तरह की खेती समय के अनुसार की जाती है. किसान कभी-कभी खेती में नुकसान भी झेलते हैं. गलत समय पर बारिश होने की वजह से फसल में अधिक नुकसान होता है. बदलते समय के अनुसार किसानों में कृषि को लेकर जागरूकता बढ़ रही हैं. किसान नई फसलों की खेती की ओर बढ़ रहे हैं. भारत सरकार भी किसानों को फूलों की खेती करने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है. फूलों की खेती में लागत कम आती है तो मुनाफा कई गुना ज्यादा होता है. भारत में सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी, एवं जायद तीनो ही मौसम में की जा सकती है.

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आपको जानकारी के लिए बता दें कि एक हेक्टेयर में सूरजमूखी की बुवाई में तकरीबन 25-30 हजार रुपये का खर्च आता है. इस एक हेक्टेयर में करीब 25 कुंतल फूल प्राप्त होते है. बाजार में इन फूलों की कीमत 4000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास रहती है. इस हिसाब से आप 25-30 हजार रुपये लगाकर एक लाख रुपये से अधिक फायदा कमाया जा सकता है.

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सूरजमुखी की बुवाई ज़ायद सीजन में फरवरी के दूसरे पखवार में करना उपयुक्त माना जाता है. यह फूल सूरज की दिशा में मुड़ जाता है, इसलिए इसको सूरजमुखी कहा जाता है. सूरजमुखी फसल में तेल, अच्छे स्वाद और लिनोलिक एसिड की मात्रा पाई जाती है. सूरजमुखी की खेती के लिए बिजाई के 15-20 दिन बाद दो पौधों के बीच उचित दूरी पर लगाना चाहिए. फिर एक निराई और दो निराई करनी चाहिए. पहली जोडाई बुवाई के 20 दिन बाद और दूसरी निराई बुवाई के 40 दिन बाद करना चाहिए.

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इस तरह करें सूरजमुखी की खेती

ढाई-तीन किलोग्राम बीज प्रति बीघा के हिसाब से काम में ले सकते हैं. पहले बीज को आप 4 से 6 घंटे तक पानी में भिगो दें. फिर इसके बाद भिगोए बीजों को फिर छाया में सुखा दें. इन पौधों को 15 से 20 दिन बाद उचित दूरी पर लगा दें. जानकारी के लिए बता दें कि सूरजमुखी की फसल की सिंचाई करना जरूरी है. साथ ही कीटनाशकों का छिड़काव पहले कर लें.फसल फूलते इसका प्रयोग सूरजमुखी के फूलों के बढ़ने को रोक सकता है.

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