जिन कर्मचारियों ने ज्यादी EPFO पेंशन (Pension) की उम्मीद लगाई थी उनके हाथ निराशा लगी है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने आदेश में कर्मचारी भविष्य निधि संशोधन योजना 2014 को वैध ठहराया है. जिन कर्मचारियों ने अभी तक 2014 से पहले बढ़ी हुई पेंशन कवरेज का विकल्प नहीं चुना है, वे अब अगले 4 महीनों के भीतर अपने नियोक्ताओं के साथ संयुक्त रूप से ऐसा कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 (Employees’ Pension (Amendment) Scheme, 2014) को बरकरार रखा है. जिसके बाद 2014 से पहले विस्तारित पेंशन कवरेज (Enhanced Pension Coverage) को न अपनाने वाले पात्र कर्मचारी भी अगले 4 महीने में इसका हिस्सा बन सकते हैं.

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अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस फैसले से साफ हो गया है कि कर्मचारियों की पेंशन (Pension) अधिकतम 15,000 रुपये मासिक वेतन के आधार पर ही तय होगी. अलग बात है कि, कर्मचारी इससे अधिक वेतन पाता हो. लेकिन पेंशन का निर्धाारण अधिकतम 15000 रुपये मासिक वेतन के हिसाब से ही होगा.

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इस फैसले के बाद 1 सितंबर 2014 तक ईपीएस (EPS) के मौजूदा सदस्य रहे कर्मचारी अपने ‘वास्तविक’ वेतन का 8.33 प्रतिशत तक योगदान दे सकते हैं. पहले वे पेंशन-योग्य वेतन का 8.33 प्रतिशत योगदान ही दे पाते थे और इसकी भी अधिकतम सीमा 15,000 रुपए प्रतिमाह तय थी. लेकिन अब कर्मचारी इस योजना में अधिक योगदान दे सकेंगे और अधिक लाभ भी पा सकेंगे.

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बता दें, कोर्ट ने 2014 के संशोधनों में उन शर्त को शुक्रवार को निरस्त कर दिया जिसमें कर्मचारी के लिए 15,000 रुपए प्रति माह से अधिक के वेतन का 1.16% योगदान अनिवार्य किया गया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो लोग एक सितंबर, 2014 को संशोधन लागू होने से पहले सेवानिवृत्त हो गए थे और उन्होंने विकल्प नहीं चुना था, उन्हें इस फैसले के मुताबिक योजना के तहत विकल्प चुनने का लाभ नहीं मिलेगा. कोर्ट ने कहा है कि छूट प्राप्त और गैर छूट प्राप्त प्रतिष्ठान समान माने जाएंगे.