केंद्र सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के सालाना 2.50 लाख रुपये से अधिक योगदान पर टैक्स लगाने की योजना बनाई है. सरकारी कर्मचारियों के लिए, सीमा 5 लाख रुपये के उच्च अंत पर निर्धारित की गई है. नए आयकर (आई-टी) नियमों के तहत, पीएफ खातों को 1 अप्रैल, 2022 से दो भागों में विभाजित किए जाने की संभावना है जिसमें कर योग्य और गैर-कर योग्य योगदान खाते होंगे.

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जान लें PF टैक्स से जुड़ी 10 अहम बातें

1. यह ऐसे समय में आया है जब सेवानिवृत्ति निकाय ईपीएफओ ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 (वित्त वर्ष 2022) के लिए ब्याज दरों को 40 से अधिक वर्षों में सबसे कम कर दिया है.

2. यह कमी 1977-78 के बाद से सबसे कम ब्याज दर है, जब यह आंकड़ा 8 प्रतिशत था. ईपीएफओ पर निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) है.

3. आई-टी नियमों के तहत सीमा उदाहरण के लिए, एक गैर-सरकारी कर्मचारी पीएफ खाते में 5 लाख रुपये डालता है, तो 2.50 लाख रुपये कर के अधीन होगा; और अगर कोई सरकारी कर्मचारी ₹6 लाख पीएफ में डालता है, 1 लाख रुपये कर के अधीन होगा. सरकारी कर्मचारी सामान्य पीएफ या जीपीएफ में योगदान करते हैं, जहां सिर्फ कर्मचारी ही पीएफ योगदान करते हैं.

4. नए नियमों के साथ, केंद्र का उद्देश्य उच्च आय वाले लोगों को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने से रोकना है.

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5. इससे पहले, सरकार ने उल्लेख किया था कि इस कदम से 1 प्रतिशत से कम करदाताओं पर असर पड़ेगा.

6. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, कर्मचारियों के योगदान से पीएफ आय पर प्रति वर्ष 2.50 लाख रुपये से अधिक के नए नियमों के कार्यान्वयन के लिए, आयकर नियम, 1962 के तहत एक नई धारा 9 डी को शामिल किया गया है.

7. इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि 31 मार्च, 2021 तक सभी योगदानों को गैर-कर योग्य योगदान माना जाएगा.

8. इसका मतलब है कि चालू वित्त वर्ष (1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022) के लिए योगदान कर योग्य योगदान के रूप में माना जाएगा.

9. आमतौर पर, गैर-सरकारी नियोक्ता मूल वेतन का 12 प्रतिशत हर महीने ईपीएफ योगदान के रूप में काटते हैं, जबकि इसमें एक समान आंकड़ा जोड़ते हैं और फिर इसे ईपीएफओ में जमा करते हैं.

10. 20 से अधिक कर्मचारियों वाली किसी भी फर्म में प्रति माह 15,000 रुपये तक कमाने वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफ खाते अनिवार्य हैं.

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