पिछले कुछ दिनों से डॉलर (Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपये में लगातार
गिरावट देखने को मिल रही है. डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर
पहुंच गया है. गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 79.99 पर बंद हुआ था. ऐसा
नहीं है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सिर्फ भारतीय रुपया कमजोर हुआ है. अमेरिकी
डॉलर ने यूरोप से लेकर कई अमेरिकी महाद्वीपीय मुद्राओं को भी नुकसान पहुंचाया है.
लेकिन कुछ लोग भारतीय रुपये की गिरती कीमत को मुनाफे की नजर से देख रहे हैं.

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कैसे हो रहा है प्रॉफिट डील

मान लीजिए आपका कोई रिश्तेदार अमेरिका की किसी बड़ी कंपनी में
काम कर रहा है. चूंकि वहाँ की मुद्रा डॉलर है, इसलिए उसे सैलरी डॉलर में मिलती होगी. इसके बाद वह अपना
वेतन भारत भेजता है. करेंसी एक्सचेंज (Currency Exchange) के बाद
आपको वहां से भेजा गया डॉलर आपको भारतीय रुपये में  मिल जाएगा. अगर मौजूदा हालात की बात करें तो इस
समय 1 डॉलर की
कीमत करीब 80 रुपये है
तो इस अनुपात में डॉलर में भेजी गई रकम आपको मिल जाएगी. अगर वहाँ
से 100 डॉलर भेजे जाते हैं तो भारत आने के बाद यह करीब 8000 रुपये हो जाएगा.

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विदेशों  से भेजा जा
रहा पैसा

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में विदेश से भारत
भेजा गया पैसा 83 अरब डॉलर
से ज्यादा का था. पिछली साल 2021 में 87
अरब
डॉलर की राशि भारत भेजी गई थी. दुनिया के कोने-कोने में काम करने वाले भारतीय हर
साल अपने घरों में पैसा भेजते हैं. इससे विदेशी मुद्रा कोस का लाभ मिलता है.

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आयात पर अधिक खर्च करना होगा

भारत पहले से कहीं अधिक आयात कर रहा है. यानी कई ऐसी चीजें
हैं जिनके लिए हमें विदेशों से आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. इलेक्ट्रॉनिक्स से
लेकर पेट्रोल जैसी जरूरी चीजों का आयात किया जाता है. ऐसे में अब जबकि रुपया डॉलर
के मुकाबले कमजोर होकर 80
रुपये
के स्तर पर पहुंच गया है. इस वजह से अब हमें आयात पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा.